गजल
हर रोज मरने के बाद ।
चंद रोज जिया तो क्या ।।
हर तरफ से ठुकरा देने के बाद ।
सबक ए जिंदगी लिया तो क्या ।।
राह अपनी वक्त निकल जाने के बाद ।
पकड़ी भी तो बचा क्या ।।
हुनर अपना दम निकल जाने के बाद ।
जमाने ने जाना तो क्या ।।
पूरी उम्र जमाने को लुटने के बाद ।
साथ ले गया तो क्या ।।
उम्र भर भविष्य को सोचने के बाद ।
कुछ ना मिला तो क्या ।।
लाखों दिलों को जीतने के बाद ।
भारती खाली गया तो क्या ।।
लेखक विरेन्द्र भारती
8561887634
चंद रोज जिया तो क्या ।।
हर तरफ से ठुकरा देने के बाद ।
सबक ए जिंदगी लिया तो क्या ।।
राह अपनी वक्त निकल जाने के बाद ।
पकड़ी भी तो बचा क्या ।।
हुनर अपना दम निकल जाने के बाद ।
जमाने ने जाना तो क्या ।।
पूरी उम्र जमाने को लुटने के बाद ।
साथ ले गया तो क्या ।।
उम्र भर भविष्य को सोचने के बाद ।
कुछ ना मिला तो क्या ।।
लाखों दिलों को जीतने के बाद ।
भारती खाली गया तो क्या ।।
लेखक विरेन्द्र भारती
8561887634