Tuesday, November 14, 2017

गजल एक भारती

गजल


हर रोज मरने के बाद ।
चंद रोज जिया तो क्या ।।

हर तरफ से ठुकरा देने के बाद ।
सबक ए जिंदगी लिया तो क्या ।।

राह अपनी वक्त निकल जाने के बाद ।
पकड़ी भी तो बचा क्या ।।

हुनर अपना दम निकल जाने के बाद ।
जमाने ने जाना तो क्या ।।

पूरी उम्र जमाने को लुटने के बाद ।
साथ ले गया तो क्या ।।

उम्र भर भविष्य को सोचने के बाद ।
कुछ ना मिला तो क्या ।।

लाखों दिलों को जीतने के बाद ।
भारती खाली गया तो क्या ।।

लेखक विरेन्द्र भारती
8561887634

Thursday, August 31, 2017

हुनर विरेन्द्र भारती


जिंदा कर तू अपने उस हुनर को ।
जो ले जाए तुझे शिखर को ।।

जिंदा कर तू अपने उस हुनर को ।
जो झुकने ना दे तेरे सिर को ।।

अरे मर्द है तो मर्द सी बात कर ।
यूँ प्यार व्यार के चक्कर में जिंदगी बर्बाद ना कर ।।

जिंदा कर तू अपने उस हुनर को ।
जो पहचान दिलाए तेरे सफर को ।।

जिंदा कर तू अपने उस हुनर को ।
जो संवारे तेरे व्यक्तित्व  को ।।

अरे जिंदा है तो मुर्दो सी बात ना कर ।
दूसरों के लिए भी कुछ  करामात कर ।।

जिंदा कर तू अपने  उस हुनर को ।
जो बनाएं नव तेरे जीवन  को  ।।

जिंदा कर तू खुद को ।
जिंदा कर तू अपने हुनर को । जिंदा कर ।।

लेखक विरेन्द्र  भारती 
8561887634

Saturday, August 26, 2017

रे नर वो किसान है (किसान)


कर - कर मेहनत थक गया ।
रे नर वो यूँही  पक गया ।।

सरकार ने ली नहीं सुध ।
और वो धुप में सक गया ।।

मेहनत उसकी कितनी है ।
और मजदूरी कितनी सी ।।

वो फिर भी कभी डिगा नहीं ।
वो फिर भी कभी मिटा नहीं ।।

रे नर वो किसान है ।
उससे देश का मान है ।।

वो जो नहीं तो बंजर सारा जहाँन है ।
रे नर वो किसान है ।।

वो पालता सबका पेट ,करता ना गुणगान है ।
रे नर वो किसान है, रे नर वो किसान है ।।

वो गर्व है इस देश का ।
वो सर्व है इस देश का ।।

सब सोचों उसका भला , जो पोषित कर रहा सारा जहाँन है ।
रे नर वो किसान है, रे नर वो किसान है ।।

करता निवेदन भारती एक आयोग उसको भी ला दों ।
ओ सरकार चलाने वालों उसका भी ओदा बढ़ा दो ।।

है वो भी पिता तुल्य रे नर ।
क्योंकि वो करता काम महान है ।।

रे नर वो किसान है ।
 रे नर वो किसान है ।।
  
उसके ही दम पे जीवित है हस्तियाँ ।
बिन उसके कैसे टिकती बस्तियाँ ।।

रे मानव वो महान है ।
वो जो किसान है ; वो जो किसान है ।।

लेखक  विरेन्द्र  भारती 
8561887634

कसूर

कसूर
अक्सर सोचता हूँ क्या कसूर हैं उस गरीब बच्चे का जो पढ़ नहीं पाता
क्या कसूर हैं उसका जो वो सड़क किनारे हैं सोता
क्या कसूर हैं उसका जो वो दो वक़्त की रोटी नहीं खा पाता
आखिर क्या कसूर हैं उसका जो वो अपना तन भी नहीं ढक पाता
आखिर क्या कसूर हैं उसका जो वो हँस नहीं पाता
आखिर क्या कसूर हैं उसका जो वो ताने सुनता जाता
आखिर क्या कसूर हैं उसका जो वो दिन रात चलता जाता
आखिर क्या कसूर हैं उसका जो वो गन्दगी मैं हैं रहता
आखिर क्यों वो कई दफा रोता हैं
क्योंकि
अक्सर सोचता हैं वो भी
मैं भी पढ़ने जाऊँ
मैं भी अपने घर मैं सोऊँ
मुझे भी अच्छा खाना मिले
पहनने को अच्छे कपडे मिले
मैं भी खेलू दोस्त बनाऊँ
उनके साथ मस्ती करुँ हँसू
कोई मुझे गन्दी गाली ना  दे
छोटी नजरो से ना देखें
मैं भी आराम करू सोऊं
एक अच्छी जगह पर रहूँ
आखिर क्या कसूर हैं मेरा ?

क्या कसूर  ?
कोई बतायें तो
क्या गरीब होना गुनाह हैं ?
या गरीब के  घर मैं पैदा होना ?
और क्यों ?
  मुझे  भी पढ़ना हैं
वो सब करना हैं जो दूसरे   करते हैं
 आखिर क्यों नहीं कर सकता मैं ये सब
कोई  बताये मुझे कसूर मेरा ?

लेलेखक विरेन्द्र  भारती
8561887634

Sunday, June 4, 2017

तेरा दर्द

तेरा दर्द

तु मेरी जिंदगी के हर आखरी पन्ने पर है 
मैंने मौत भी माँगी तो तेरी आरजू से माँगी है 

तेरी चाहत मे कहीं मेरा दम निकल ना जाए 
अब तो तु आजा कहीं मेरी साँसे छिनली ना जाए 

हर वक़्त तेरे खयालो मे मैं खोया हुआ था 
मुझे नहीं पता मैं कब सोया हुआ था 

नींद कैसी होती है मैं ये भुल गया हूँ 
जबसे तु रूठी है मैं टूट गया हूँ 

अब तो तेरी ख़बर भी दूसरों से आती हैं 
जबसे तु गयी है  सिर्फ खयालो में आती हैं 
 सिर्फ खयालो में आती हैं 

लेख़क विरेन्द्र भारती 
मो. 8561887634 
 ई मेल. virendra.bharti@yahoo.in
                                                        

Tuesday, May 30, 2017

रिश्ता

रिश्ता कच्चे धागो की पतंगों की तरह होता है,
ना जाने कब किस्से बन जाता है
ना जाने कब टूट के अलग हो जाता  है | 

Sunday, May 28, 2017

वो अजनबी

बहुत  दिनों  के  बाद  आज  फिर  सफर  का  मजा आया ।
आज  फिर  सफर  में   एक हमसफर  ऐसा  पाया ।
जिसकी  तारीफ  में  बहुत  कुछ  लिखने का  दिल  किया ।
पता नहीं  क्यों  उससे  बार- बार मिलने  का  दिल  किया ।।

वो अजनबी  बस  कुछ  पल  में  ही  दिल  में  घर  कर गई ।
वो  मुझे  कोटा  से  जयपुर  के  सफर  मिल  गई ।
उसे  देखकर  मेरी  गाड़ी  लोकल  बस  में  चढ़  गई।
फिर  क्या था  गाड़ी  सफर  पर  चल  गई।।

मैंने  उसको  देखा  उसने  मुझे  देखा
मैंने  उसको  देखा  उसने  मुझे  देखा
फिर वो मुस्कुराई  फिर  मैं  मुस्कुराया
और  फिर  नैन  मटक्का  हो  गया 

पता  नहीं  मेरी  कौनसी  आदत  उसे  पसंद  आ  गई ।
वो  अपनी  माँ  के  पास  से  उठकर  मेरे  पास  आ  गई।
शायद  जो  गुफ्तगू  मेरे  दिल  में  थी  वो  उसके  में  भी  चल गई 
पता  नहीं  क्या  था  वो  जो वो  ऐसा  कर  गई 

वो  चेहरा 
वो  आँखे 
वो मुस्कान 
वो शरारत

 बैठ के  पास  मेरे  वो  कयामत  ढ़ा  रहीं  थी।
वो खुद  भी  जल रहीं  थी  मुझे  भी  जला  रहीं  थी।।

ना  वो  खुद  को  रोक  पा  रहीं  थी ना  मै
जबकि  दोनों  जानते  थे  सफर  खत्म  हो  रहा है ।।

खत्म हो  गया  वो  सफर  देवली  ही
वो  उतर के  अपने रास्ते चल दि  और  मैं  अपने

एक दफा  फिर  लौट  कर  आई  वो  मिलने  मुझसे
उसने कहा  चलो  और मै  उसके  साथ  चल  दिया
फिर  ना  वो  बोल  पाई  ना  मैं

थोड़ी देर  युं  ही  एक  दूसरे को  देखते  रहे ।
फिर  वो  अपने  रास्ते  चल  दी  और  मैं  अपने






Friday, May 26, 2017

विदाई

ये दोस्ती के जमाने  याद  आयेंगे ।
ये दोस्त  पुराने  याद  आयेंगे ।
इन दोस्तों  की  बातें याद  आएगी ।
जब विदाई  हो जाएगी ।।

वो काॅलेज  याद  आयेंगी ।
वो  दोस्तों  की  शैतानिया याद आयेंगी ।
वो दोस्तों  का चिड़ाना  याद  आयेगा ।
जब विदाई  हो  जाएगी ।।

वो  साथ  घूमना  फिरना  याद  आयेगा ।
वो  कॉलेज  का झगड़ा  याद  आयेगा ।
वो  बात - बात  पर  दोस्तों  का  सताना  याद  आयेगा ।
जब विदाई हो जाएगी ।।

वो  मैडम की डाँट  याद आएगी ।
वो  सर  की  फटकार  याद आएगी ।
वो  सबका  प्यार  याद  आएगा ।
जब  विदाई हो जाएगी ।।

लेखक विरेन्द्र भारती
मो.  8561887634

Friday, May 19, 2017

घर राजस्थानी कविता

घर शब्द छ: घणो छोटो
अर्थ इको साँथरों मोटो।

इम रैव एक परिवार
बिना बिक सूनो संसार।

जठै सारा साँकला रैव
बठै सदा खुशहाली रैव।

ऊँ घर घर कहलावें
जठै सारा भाई मिल बैठ खावें।

जठै बड़ा रो मान होवें
ऊँ घर रो सदा सम्मान होवें।

जठै रैव समझदार नारी
बठै सारी खुशियाँ वारि।

जी घरकारों दिलड़ो मोटो होवें
बिक सामने स्वर्ग भी छोटो होवें।

मुसीबत भी बठै थर थर काँपें
जठै सारा दु:ख मिल बैठकर बाँटे।

जो घर ने घर समझे
घर री बात बाणें ना उपजें।

सारी आपदा सु यो बचावें
सर् रे ऊँपर छत कहलावें।

काचों होवे या पाकों
घर सिर्फ आपणों साँचों।।

लेखक विरेन्द्र भारती
   मो . 8561887634

Thursday, May 18, 2017

बारिश भी थम गई

आसमान में घटा छाई
घटा संग जब आँधी आई
आँधी संग जब बारिश कि पहली बुंद गिरी
उस बुंद ने मुझे कुछ यु छुआ
जैसे कोई चुभन ।।

उस चुभन में छुपी थी एक याद तुम्हारी
ताजा हो गए वो दिन
जब हुई मुलाकात हमारी
फिर याद आया वो मंजर
जब जुदा हुई तुम मुझसे ।।

तेरी उन यादों से जब आँख मेरी भर आई
आँखों से मोतियों की झड़ी बह आई
थम गई वो बारिश भी बहती हुई मेरी आँखों को देखकर
लेकिन तुझे याद ना मेरी आई ।।

खुशी हुई मुझे ये देखकर
शायद बारिश को भी मेरे दर्द से दर्द है
तभी तो वो बारिश भी थम गई
जब याद तेरी आई
जब याद तेरी आई ।।

लेखक विरेन्द्र भारती
 मो.  8561887634
22/06/2016
mad writer

Sunday, May 14, 2017

माँ

बदल गया ना माँ अर्थ तेरा युग के साथ
अब कहाँ तुझे बेटा उतना प्यार करता है माँ
थोड़ा बड़ा होते ही वो कहता है
तुम नहीं समझोगी माँ।

माँ तुम तो माँ हो ना
जब नहीं बोलते थे हम
तब भी तो तुम समझ जाया करती थी ना
फिर क्यों वो बेटा ऐसी बातें करता है माँ।

माँ आज तेरा बेटा किसी लड़की से कहता है
तेरे बिना क्या वजूद मेरा
मैं पुछता हूँ माँ 
क्या तेरे बिना उस बेटे का वजूद था।

माँ
ओ माँ
तेरा वो राम कहा है माँ
आज का बेटा तो मतलबी है माँ।

शादी हुई नहीं
तुझे भूल जाएगा
ये कलयुगी बेटा है माँ
तुझे रूलाकर खुद झूम जाएगा ।

माँ तुम इतनी भोली क्यों हो
क्या इस कलयुगी का छल 
तुम्हें नहीं दिखता
क्यों माँ क्यों ।

माँ शब्द नहीं ममता का सागर है
जब सब साथ छोड़ जाया करते है
तब भी साथ देती है जो
वो माँ है।

बेटा कितना ही झूठ बोले
उसकी हर बात को
आंखे मूंद जो सच माने
वो माँ है।।

माँ तु ही तो है वो
जो चलना
बोलना, समझना
सिखाती है।

माँ 
तु नहीं होती तो
क्या वो मूर्ख बेटा
होत यहाँ

लेखक विरेन्द्र भारती
मो. 8561887634



Saturday, May 13, 2017

आदत...

हाँ हे ना मुझे आदत
तुझे यूँ वक्त बेवक्त याद करने की
दिन-रात तुझे प्यार करने की
तेरे और सिर्फ तेरे बारे में सोचने की।

हाँ हे ना मुझे आदत
तेरी हर आदत से प्यार करने की
चाहें वो अच्छी हो या बुरी
जो तुझे पसंद वो मुझे पसंद।

हाँ हे ना मुझे आदत
तेरे साथ की
तेरी आवाज की
तेरी हर अदा की

हाँ हे ना मुझे आदत
तेरे उस प्यार की
जो लुटाती थी तु कभी मुझ पर
निस्वार्थ, निश्छल, बेवजह, बेमतलब।

हाँ हे ना मुझे आदत
तेरा ही चेहरा देखने की
देखते-देखते उसमें खो जाने की
और फिर तेरे ख्यालों के साथ सो जाने की।

हाँ हे ना मुझे आदत
आँसूओं से तकिया भिगोने की
क्योंकी अब जिया नहीं जाता तेरे बिन
बिन तेरे खाली सा लगता है मुझे वजूद मेरा।

लेकिन तुझे भी तो आदत हे ना
मुझे तनहा छोड़ जाने की
हर वक्त रूलाने की
दिल तोड़ जाने की।

हाँ हे ना मुझे तेरी आदत
हाँ रहेगी मुझे तेरी आदत
हमेशा हमेशा
तु लौट या ना लौट।।

लेखक विरेन्द्र भारती
मो. 8561887634


Wednesday, May 10, 2017

सब जाएगा रे

रे मानव क्या पाया तुने आकर इस संसार में।
क्यों किया तुने तेरा मेरा जब नहीं तेरा यहाँ बसेरा ।।

भिखारी भी यहाँ से खाली गया ।
करोड़पती भी यहाँ से खाली गया ।।

चली गई वो सब महान हस्तियाँ भी ।
जिन्होंने काम भारी किया ।।

अरे क्यों जोड़ी तुने पाई-पाई ।
क्यों नहीं तुने मानवता कमाई ।।

पता था तुझे जाना है मुझे।
एक दिन खाली हाथ।।

इस पराई दुनिया में क्यों तुने माया कमाई ।।

सफल वहीं हुआ रे मानुष ।
जिसने सत् कर्म कर प्रभू भक्ति पाई ।।

मूर्ख नहीं थे वो ऋषि महामुनी ।
मूर्ख नहीं थे वो दधिची ।।

रे छोड़ माया जिसने प्रमू भक्ति है कमाई ।
तर गया जीवन उसका आँच कभी ना आई ।।

अरे मति अन्ध मैं भारती कहूँ इतना  ।
क्यों मूर्ख सा काम करे ।।

बड़ी मुश्किल मिली ये मानुष योनी ।
सोच इसे ऐसे नहीं खोनी ।।

एक दिन जाएगा यहाँ से सब कुछ तेरा ।
रे पागल यहाँ तेरा रेन बसेरा ।।

क्यों सोचत-सोचत जिंदगी गँवाई ।
क्यों टाँग अपनी खान पसाई ।।

कर ले कुछ कर्म यहाँ ।
कर ले कुछ धर्म यहाँ ।।

यहीं साथ जाएगा रे ।
क्या सोचत सोचत रे ।।

चार दिन मिले जीवन के ।
दो फालतू गँवाए रे ।।

और दो क्यों माया में फँसाए रे ।
सब जाएगा रे सब जाएगा।।।

लेखक विरेन्द्र भारती
 मो.   8561887634

Monday, May 8, 2017

राजस्थान पत्रिका

राजस्थान की शान है राजस्थान पत्रिका ।
शायद इसीलिए राजस्थान में महान है राजस्थान पत्रिका ।।

आता है सुबह-सुबह ये  देश विदेश की खबरें लेकर ।
पढ़ते है हम सारी खबरें चाय की चुसकियाँ लेकर ।।

कितनी सस्ती मिलती है इससे जानकारी ।
इतनी सस्ती तो नहीं मिलती है आज तरकारी ।।

रोज की सुचना रोज देता ।
भाग दौड़ भरी जिंदगी मैं आराम देता ।।

आगे बढ़ने को ये प्रेरित करता ।
मेहनत करने को ये प्रेरित करता ।।

सोच और भरोसे को बढ़ाता है ।
हर रोज सारे संसार को समेट लाता है ।।

लाता है कुछ प्रेरणादायक कहानियाँ ।
जो होती है कुछ अनकहीं जुबानियाँ ।।

हर क्षेत्र की जानकारी  है देता ।
बहुत कम दाम है लेता ।।

आज प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मदद कर रहा है ।
आगे बढ़ने को ये हरपल प्रेरित कर रहा है ।।

कुछ छिपी प्रतिभाओं को सामने है लाता ।
लाकर सामने उनको पहचान है दिलाता ।।

हौसला ये हरदम बढ़ाता ।
उडने को ये पर लगाता ।।

राजस्थान पत्रिका पढ़ो ।
आगे बढ़ो ।।

दो सपनों को नई उड़ान ।
नई पहचान ।।

लेखक विरेन्द्र भारती
8561887634

Wednesday, May 3, 2017

रात








हम रात बगीयन में डोले
बनके हमजोली
कुछ वो मुझसे बोला
कुछ मैं उससे बोली

उस रात नें
खुशियन में ऐसी भंग घोली
बिन रंगो के
खेली मैंने पियवर संग होली


Friday, April 28, 2017

पैगाम

पहुँच गये वो सारे पैगाम
जो तुने दिल से भेजे थें।
गौर से पढ़ा मैंने
तुने बुजदली से भेजे थें।
अरे प्यार किया है तो इतना डरती क्यों है
और डरती है तो मुझपे इतना मरती क्यों है
ग़र खुशी है मुझे
तु मुझे इतना चाहती है
दिन - रात मुझे हि गुनगुनाती है।
यह तो बता
तु आयेगी कब हमेशा के लिए
मेरी होने के वास्ते
फिर कभी लौट कर नहीं जाने के लिए।
लेखक विरेन्द्र भारती
मो. 8561887634

Monday, April 24, 2017

ख्वाब

आज रात फिर मैंने तुम्हारा ख्वाब देखा शीतल
मैनें ख्वाब मैं देखा
तुम मुझसे मिलने आयीं थीं,
बडी मन्नतों के बाद
शायद आखरी दफा
ये कहने की मैं अब फिर नहीं लौटुंगी
तुम्हारी होने के लिए
तुम मुझसे अकेले मैं बात करना चाहती थी।
हम वहाँ से एक सांत स्थान पर गए।
मै बहुत रो रहा था।
तुम भी बहुत दुःखी थी और घबराई हुई थी ।
मै सिर्फ तुम्हारे चेहरे को देख रहा था,
और तुमसे कह रहा था
तुम जा रही हो
मुझे फोन तो करोगी ना
कम से कम चार दफा
एक माह में
तुमने हाँ नही कहा
लेकिन 
ना भी तो नही कहा
मै रो रहा था 
तुम सामने खडी थी
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था
मैं तुम्हें जाने नहीं देना चाहता था
क्योंकी
मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता था
तुम भी दुखी थी
मैं भी दुखी था
अचानक नींद खुल आई
सपने के बारे मै सोचकर
बहुत दुःखी हुआ
कई बार चाहा तुझे फोन करना
लेकिन मै तुझे परेशानी मै नही डालना चाहता था
क्योंकी मेरा फोन देखकर शायद तुम परेशान हो जाती।
तुम्हारी बहुत याद आती है शीतल
लौट आओ ना
तुम्हारा सिर्फ तुम्हारा भारती

Wednesday, April 19, 2017

A Love Letter for Miss Sheetal

I am a mad boy for you.
I like you too much.
You are a diamond for me.
I have a great prosperity for you in my heart.
I never forget you in my life.
You are memorable for me.
I remember you every day for sometime.
You are my power.
I always remember your speech.
Your speech gives me a power.
I never thought that we will be apart in life.
Some time you were in stress.
You never understood me your good friend.
I think that fully you do not believe in me.
I forget my life after you.
Now i love you.
I will love you till my death.
I saw you tried to change yourself.
But fully you can not change you in your life.
I don't know what is my value for you.
But you are most valuable for me.
I was always very happy with you.
After your going, I become so sad.
I can't live happy without you,
As i was.
I don't know ,
where we will be in future.
I want, you always remember me in your life.
I never want, you forget me.
I think, one day i will get you
please come back in my life.
i miss u so much
writer virendra bharti
cont: 8561887634


Sunday, April 16, 2017

भारती की शायरी 0

VIJ => राह उनकी आसान होगी ,
           जिनके सपनों में जान होगी।
           आगे तो वहीं बढेंगे,
           जिनके हौसलों में उडान होगी।।

VIJ => हमारी जुदाई में वो हर पल आंसू गिराते है वो,
            फिर भी शुक्र है जब भी मिलते है नजर मिलाते है वो,
            चाहे उनकी आंखे हमसे मिलकर बहने लगे,
            फिर भी हमारी मुलाकात को इक अच्छा एहसास बताते है वो।

            जुदा वो हमसे होना नहीं चाहते।
            फिर भी जब भी जुदा होते है मुस्कुराते है वो।।

VIJ => उनसे जुदा होकर हम खुश रहे ये हो नहीं सकता,
            उनकी जुदाई में हम उन्हें भुलादे ये हो नहीं सकता।
            उनकी एक मुस्कुराहट के खातिर मिट सकते है हम,
            हमारी मुस्कुराहट के खातिर उनकी मुस्कुराहट मिटा दे ये हो नहीं सकता।।

VIJ => सात फेरो की सातो रश्में, तोड़ डाली उसने।
           सात जन्मों का साथ इक पल में तोड़ डाला उसने,
           दिल ये बात करके याद रोता है।
           कि इंसान सात फेरे क्यों लेता है।।

VIJ =>  जिसे कभी आपके बिना जीने की आदत ना हो,
             उसे लम्बी उम्र की दुआ मत देना।
             जिसे कभी रोने की आदत ना हो उसे जुदाई का दर्द मत देना।
            क्योंकि सारी दुनिया के लिए तुम एक इंसान हो।
            लेकिन एक इंसान के लिए तुम सारी दुनिया हो।।

VIJ => बढ़ने के सहारे गिरना ना सिखा हमने।
            किसी की गुस्ताखी को माफ करना ना सिखा हमने।
            वादा करके हम तोड़ते नहीं।
            गुस्ताखी करने वाले को हम छोड़ते नहीं।।

            शायर विरेन्द्र भारती
                    8561887634

Tuesday, April 11, 2017

गांधी

गांधी था या कबाड़ी (देवदूत ) था , 
सबसे बड़ा  खिलाड़ी  (यमदूत ) था ।
हिंसा  का दुराचारी  था,
अहिंसा  का पुजारी था।
भ्रष्टाचार  का विरोधी  था,
न जाने  कौनसी  घड़ी  में  जन्मा  था।
न  जाने  किस  योग  में  पनपा  था ।।
अत्याचार  के खिलाफ  था,
न  जाने  कैसे  सोचता  था  वो।
कैसे सोचा  उसने  इतना  अच्छा ।। 
कहीं  दिमाग  से  पैदल  तो  नहीं  था  वो।
कहीं  दिमाग  से  लंगडी  तो  न  खेली  उसने।
कैसा  खेल  खेला  उसने  अंग्रेजो  के  संग ।
कर  लिया  झमेला  उसने  अंग्रेजो  के  संग।
कर  लिया  पंगा  अंग्रेजो  से। और  छेड़ी  जंग  खिलाफ  अंग्रेजों  के ।
अंग्रेजों  ने  डाला  उसे  उठाकर  ससुराल  (कारागार ) में ।
वहां से  होकर  निकला  वो  निचंगा  अपने  दरबार  में ।
बाहर  आते  ही  उसने  फिर  कर  लिया  पंगा ।
नहीं  था  यह  उसके  लट्ठ  का  दंगा ।
सत्य  का  पुजारी था ,  असत्य  का  दुराचारी था ।
आचार  उसका  विचार  करने  योग्य  था।
क्योंकि  वह  सदाचारी  था।
खादी  से  रोका  उसने  देश  की  बर्बादी  को।
खादी  पहनना  सिखाया  देश  की  आबादी  को।।
प्यार  के  दो  बोलो  से  खिला  दिया  उसने  सुखे  दिलों  की  वादी  को।
प्यार  से  कर  दिया  पैसे  का  बड़ा  नुकसान ।
हराकर  अंग्रेजों  को  चला  गया  श्मशान ।
छोटी  सी  सोटी  हाथ  में  लिए  वह  बापू  की  मूरत  थी  अमिट।
जो  लगा  गई  छाप  स्याही  बिना  परमिट ।।
बदल  सकते  है  उनके  दर्शन  से  देश  के  हालात ।
बदल  गया  अंग्रेज़  तो  क्यों  नहीं  बदलेगा  भारत  का  बदमाश ।।

लेखक विरेन्द्र भारती 


Friday, April 7, 2017

प्यार में गहराई ...............

प्यार  में  गहराई  बहुत  है ।
नापने वाले ने आंसू गिराए बहुत है ।।
फिर भी नहीं भुल सकता वो प्यार को  (करना)।
जबकि  इसमें  तन्हाई  बहुत  है ।।
उससे  बिछुडे  हुए  उसे  वर्षो  हो  गए ।
फिर  भी  उसे  हर  रोज  उसकी  याद  सताती  बहुत  है ।।
उसकी  जुदाई  के  गम  ने  उसे  पागल  बना  दिया ।
जिसकी  कभी  रोने  की  आदत  नहीं  थी ।
उसे  हर  रोज  रूला  दिया।।
उसकी  चाह ने  उसको  इतना  रूला  दिया ।
बढ़ना  भुला  दिया  हँसना  भुला  दिया।
हर  पल  रूला  दिया ।।
        लेखक विरेन्द्र भारती
                8561887634

Tuesday, April 4, 2017

सपना

तुम तो  रूठ  सकती  हो।
लेकिन  मैं  नहीं  रूठ  सकता  ना।।

जिस  दिन  मैं  रूठा ।
उस  दिन  तेरे मेरे  बिच ।
सबकुछ  खत्म  हो  जाएगा ।।

और  मैं  ऐसा  नहीं  चाहता ।

क्योंकि  मैंने  जिंदगी  सिर्फ ।
तेरे साथ बिताने के सपने देंखे  है ।।
I miss u pgl 




Thursday, March 23, 2017

महादान


रक्तदान नहीं  है ये, 
ये है महादान ।
पैसे से भी बड़ा दान ये, 
ये श्रम से भी बड़ा दान ।।
इक जीवन के लिए , 
ये है दानों का दान ।।
इसका मोल नहीं  कोई , 
ये बड़ा  अनमोल है ।
जो इसका मोल लगाये , 
जिंदगी उसकी बेमोल है।।
यह बचाता है  कई जीवन , 
दिखाता  अपनी करामात  है।
काम इसका अमूल्य  है, 
ये बड़ा बहुमूल्य है।।
इसीलिए  रक्त  दान  करो,
  महादान  करो ।
किसी की जिंदगी बचाओ ।।
लेखक  और  निवेदक  विरेन्द्र भारती 
 8561887634

Friday, March 10, 2017

क्या है होली


प्यार का नाम है होली,
रंगों  का जाम है होली ।
जो खेली हमने रंगों  से बनाके टोली,
आखिर में  वहीं  तो है होली।।

खुशी का रंग  चढ़ाने  का नाम है होली,
दुःख का  रंग  उड़ाने का नाम है  होली ।
जो भर दें  खुशियों  से  झोली ,
आखिर  में  वहीं  तो  है होली ।।

गिले  शिकवे भुलाने का नाम है होली,
दुरियाँ मिटाने का नाम है  होली ।
जो हमनें दुसरों से  बोली  मीठी बोली,
आखिर  में  वहीं तो है होली ।।

एक दुसरे को रंगों  में  रंगने का नाम है होली,
एक दूसरे की मुस्कान बनने  का नाम है होली ।
जो एक दूसरे को साथ चलना सिखाती,
आखिर में  वहीं तो है होली ।।

दिल  में  बसने  का  नाम है होली ,
दुआओं  में  छाने  का  नाम है होली ।
जो  एक दूसरे के  काम  आना सिखाती,
आखिर में  वहीं तो है होली ।।

  लेखक विरेन्द्र भारती
         8561887634


Monday, March 6, 2017

चाहत

कोई चाहत में  हँसता गया ।
तो कोई चाहत में  रोता गया।।
अजीब दर्द  था चाहत में  ।
अजीब खुशी  थी  चाहत  में ।।
जो हर कोई महसूस  करता  गया।।
कोई बढ़ता  गया ।
तो कोई  टूटता गया।।
हर कोई इसमें  झूलता गया।।
कोई संभलता गया ।
 तो कोई बिखरता गया ।।
हर कोई वक्त  से  सिखाता  गया।



Thursday, March 2, 2017

सुन लो मेरे प्यारे बच्चो

सुन लो मेरे प्यारे बच्चो
तुम्हें  माँ  भारती पुकारती
उपकार है उसके कहीं तुम पर
तुमको  है  ये  जानना
सींचा  है  उसने  तुम्हें  अपनी  शीतलता  से
ये  है  तुमको  मानना
मैं  भारती  शीतल  हूँ
  मुझमें  गुलज़ार  सी  धार  नहीं
मगर  मैं  कुछ  तुमको   बतलाता  हूँ
क्या  कर्तव्य  नहीं  तुम्हारे  इस  धरा  के  प्रति
जिसमें  तुमने  जन्म  लिया
तुम्हें  पता  है  न  जाने  कितने  महापुरुषों  ने  मिलकर  इसका   गौरव  बढ़ाया  है
फिर  तुम  क्यों  करते  हो  वो  कुकर्म   जिसे  देख  इसका  जी  घबराया  है ।
बहन  बेटियों  से  हो  रहा  दुराचार   क्या  तुम्हें  दिखता  नहीं।
अब  तो  उठो  मेरे  भारत  के  विरेन्द्रों  ।
क्या  तुम्हें  कुछ  अच्छा  जचता  नहीं ।।

Saturday, February 25, 2017

मैं  हुँ  पागल  छोरा 
सकल  से  काला  या  गोरा ।
दिल  से  बड़ा  अच्छा  हूँ 
थोड़ा  अभी  बच्चा  हूँ 

दुनिया  जो  कहे  मुझे  कहने  दो  उसे
यारों  मुझे  बस  मतलब  रखना  अपने  आप  से , 

जब  मैं  बनूँगा  बादशाह  ,
दुनिया  कहेगी  ये  भी  कभी  शाद  था।

जिस  जिस  ने  ठुकराया  मुझे 
मैं  भी  उसे  ठुकराऊँगा ,
जिसने  अपनाया  है
जान  उसी  को  दे  जाऊँगा ।

कहीं  मिले  है  आज  तक
जिंदगी  की  इन  राहों  में , 
कहीं  बिछड़  के  चले 
बहती  हुई   फिजाओं  मैं ।

कुछ  लोग  मुझे  भी  याद  है 
कुछ  लोगों  को  मैं  याद  हूँ।
जिन्हें  मैं  याद  हुँ
उनकी  मैं  फरियाद  हुँ ।

Wednesday, February 22, 2017

बहुत  सी  चीजें  जो  उम्र  भर  सताती  रहीं
तु  ना  आई  पर  तेरी  याद  आती  रहीं ।
तेरी  उम्मीद  का  एक  चिराग  युं  उम्र  भर  जलता  रहा
तु  ना  आई  पर  ख्याल  तेरा  आता  रहा ।

Thursday, February 16, 2017

तबाही

ओ हमनशी,
तबाही मिली है उम्र भर के लिए,
तेरी मोहब्बत मैं ।
मगर जो पल तेरे साथ बिता आया हूँ।
लगता है, उनमें  कई  सदियाँ  जी  आया हूँ।
मेरी धड़कने  तेरे जाने से  रूक  सी गई , 
मेरी कस्तियाँ तेरे जाने से डूब सी गई ।
जो भूचाल  आया  मेरे  दिलों  दिमाग में , 
मेरे  सुख के  संसार  मेें ।
कौन थामेगा  उसको,
कौन  संभालेगा  मुझको।
हम जिस्म  दो,
 जान एक थे।
लगता था ऐसे , 
साथी अनेक थे।
कौन रोकेगा  मेरे  डूबते  हुए  सुरज  को,
कौन संभालेगा मेरी  शान  ओ  शोहरत को।
बहुत दुर चला हूँ  तेरे संग , 
तेरे बिन  तेरे  ख़्वाबों  में ।
मैंने  तोड़  डाला  अपना  हर  ख्वाब , 
तेरी  खुशी के  लिए ।
देखना है,
तुम ख्याल  कितना  रखती  है,
मेरी खुशी का ।
मेरा  एक  सवाल  जो  तुझसे हैं ,
क्या  तु  फिर  नहीं  आ  सकती  उम्र  भर के लिए ?
मेरी   होने  के  लिए ।

Deewana writer virendra bharti 
8561887634
Missing SHEETAL RAJAWAT 

Monday, February 13, 2017

भारती की शायरी

                             ॐ

कुछ आशिकों  के  नाम  हो गए,
कुछ आशिकी में बदनाम हो गए,
कुछ  को  मुरादें  मिल  गयी,
कुछ  की  आज  भी  बाकी  है।

हमारा  क्या  हम  भी  कभी  मुसाफिर  हुआ  करते  थे।
मगर  मोहब्बत  हुई  है  जबसे  उनसे,
बस  मुसाफ़िर  बनकर  रह  गए  है
उनकी  गलियों  कै।

दिदार  उनका  ना  हुआ,
इन्कार  उनका  ना हुआ।
कैसे  लौट  आए,
अभी तो  इन्तजार  उनका  नहीं  हुआ।

ना  वो  कुछ  कह  सकती,
ना  मैं  कुछ  कहा  सकता।
ये  कैसी  मोहब्बत  है,
जिसमें  सिर्फ  खामोशी  और  तन्हाई  है।

सोचा  था  मैंने  ये, एक  दिन  चली  जाएगी  वो।
जब चली जाएगी  वो,  बहुत  याद  आएगी  वो ।
उसे  पाने  की  चाहत  मैं ,
मैं  अपने  इश्क  का  इजहार  कर  बैंठा।
मुझे  क्या  पता था ,
इजहार  करने के बाद मुझसे  दूर चली जाएगी  वो ।

शायद लगा होगा उसे भी,
कुछ वक्त  साथ  गुजारने  के बाद वो  जा  नहीं  पाएगी।


हौंसला  बुलंद  है मेरा,
मैं  एक  दिन  पा लूँगा  उसे।
मैंने  उसे  खोया  ही  कब  है,
खोया  तो  उसने  है  मुझे ।


हर  किसी  से  तुलना  हमारी  करना  मत,
पूरे  जहाँ  मैं  घुमने  के  बाद  भी  मेरा  जैसा  नहीं  मिलेगा ।
वक्त  तो  निकाल  सकता  हूँ  मैं,  मगर पैसा  नहीं  है।
शाहजहाँ  तो  नहीं  मगर  शाहजहाँ  की  तरह  ही हूँ,
बस  कोई  मुमताज  नहीं है ।

Written by Deewana writer virendra bharti
                    8561887634
Missing SHEETAL RAJAWAT






Friday, February 10, 2017

जिंदगी की सीख

मैंने  अक्सर  राहों  मैं  कांटे  देखे  है।
उन कांटो  को तेज  हवा  संग  उड़ता  देखा  है ।।
जो  देखा  है वो क्या  कम  देखा  है।
यह देखकर  बहुत  कुछ  सीखा  है।।
जो सीखा है  वो बताना  नहीं।
, जो बता  दिया वो जताना  नहीं।।

जिंदगी  मैं  ऐसे  कई  पड़ाव  आ जाया  करते है ।
जहाँ  से  सब  फिसल  जाया करते  है।
फिसला  वहीं  करते है जो अपना आपा खोया  करते  है।।

हमें  ना तो इतना  मिट्टी मैं  होना चाहिए, ना ही पानी  मै।
जो खुद को  संभाल  भी  ना  सके।।

शेर हमेशा  बिच  मैं  रहा करते है।
जो बिच मैं  रहा करते है राज  वो हि  किया  करते है।।
किनारे  पर तो गिदड  रहा करते  है
जो  मौका  देख जान बचा भागा करते है।।

हमने आज  तक मैदान  नहीं  छोड़ा
चाहे  हमारे  साथ  कुछ  भी हुआ।

बस यहीं  अच्छाई  है हम मैं ,
जिससे  अब तक चोट खाई  है हम ने ।।

Mad writer virendra bharti


Wednesday, February 8, 2017

सजा

अजीब सी चुभन अजीब अजीब  सी खुशी
जब डांटे  वो  शिक्षक ।
नफरत  उनके नियमो  से  मोहब्बत  हमारे  कामों  से ।
एक अजीब सी  भावना  आकर यूं  चली  जाती  है ।
फिर  थोड़ा  सा प्यार  भी  आता है ।
गुस्सा  बहुत  आता  है।  बहुत घर्णा  महसूस  होती  है।
आज फिर बचपन की तरह शिक्षक  से जुबान  लड़ाने  को मन  करता  है ।
पर अब  वक्त के  साथ मै  भी  बदल  चुका  हूँ ।
अपने अंदर के उस जानवर  को  खत्म  कर चुका  हूँ ।
आज उस शिक्षक की अहमियत  समझ आती है।
कई  दफा  मेरे  हर  शिक्षक  की तस्वीर  सामने  आती है ।
लेकिन  एक शिकायत  उनसे  आज  भी है।
क्यों  नही  समझा  उन्होंने  आज  तक  मुझे ?
अब  मुझे  बहुत  जल्दी  बहुत  कुछ  करना  है।
वक्त  कम है  मेरे  पास  जो  किस्से  अधूरे  छोड़  आया  उन्हें
अब  पूरा  करना  है।
मैं  फिर  एक  नया  रूप  लेके जी  रहा हूँ ।
कुछ  नया  करने  के  लिए ।
एक  दफा  फिर  इतिहास  रचने  के  लिए ।
बदलने  दो  मुझे यारों
एक  दफा  फिर  मत  रोको
जब मैं  गलत  था  तो  कोई  रोकने नहीं  आया ।
आज जब सहीं  करने  जा  रहा  हूँ
तो तुम  मेरी  रफ्तार  को  धीमी  कर रहें  हो।
क्यूं  फिर  मुझे  कभी -2 WANTED बनने  पर  मजबूर  हो
मुझे  अब उस  दुनिया  से  नफरत  है।
क्यों  उसके  किस्से  सुनाते  हो ।
रहने  दो  पहली बार  राह  पकड़ी  है भटकूँगा  नहीं ।

MAD WRITER VIRENDRA BHARTI
                8561887634


Saturday, February 4, 2017

छुना है जिसको आसमान

छुना है जिसको आसमान  बस एक बात  समझ लो,
सपनो से नही  होगी  उड़ान  बस एक  बात  समझ  लो।

कुछ  करके  दिखाना है तो कुछ  करना  ही  होगा।
रूकने  से  नहीं  होगा  काम  आगे  बढना  ही  होगा ।।

अब तो मैंने  भी समझ  ली,  अब तो तुम भी  समझ  लो।

जिसने छोड़ा  है  अपना  काम वो एक बात  समझ  लो।
अब  रूकने  से  नहीं  होगा  काम  बस  एक  बात समझ लो।।

By mad writer virendra bharti
                 8561887634

Sunday, January 29, 2017

सुन लो मेरे प्यारे बच्चो

सुन लो मेरे  प्यारे  बच्चो
तुम्हें  माँ  भारती  पुकारती ।

उपकार  है  उसके  कहीं  तुम  पर
शायद  इसीलिए  वो ललकारती ।

देख आज के इस इंसान  को
उसका जी घबराता है ।

सोचती है वो भी ये
ये कैसे  भारत के  भाग्य  विधाता  है।

देख अपनी बेटियों  कि  दुर्दशा
वो  तड़प  उठती  है ।

इस  भारत  को  बदलने  का
तुमसे  वो  निवेदन  करती है ।

क्या  कर्तव्य  नहीं  तुम्हारे  कोई
(उस धरा के प्रति ,  अपनी  इस  मां  के प्रति ,
जिसने  तुम्हें  सब  कुछ  दिया । )
सुन लो  मेरे  प्यारे  बच्चो
माँ  भारती पुकारती।

लेखक  विरेन्द्र भारती
        8561887634

Saturday, January 28, 2017

Patriotic song Children Children Children

Children Children Children,
India is our land,
It is your responsibility to protect.

Hand's up go ahead, let's move pace.
Always keep an eye on the target deposits,
Bartbhumi not want anyone's hand.

O those who move, those who walk o,
O noble families who,
Understand the responsibility you
Land in India our country, our land....


Written by Virendra Bharti
                8561887634

Wednesday, January 25, 2017

देशभक्ति गीत बच्चो बच्चो बच्चो

बच्चो बच्चो  बच्चो ,
ये भारत भूमि हमारी है,
इसकी रक्षा  करना  तुम्हारी जिम्मेदारी है ।

हाथ  उठाओ आगे बढो ,  कदम से  कदम मिलाके चलो ।
नजर लक्ष्य  पे रखो  सदा जमाएं ,
भारतभूमि  कभी किसी  के  हाथ  ना  आएं ।

ओ आगे बढ़ने वालो , ओ पैदल  चलने वालो,
ओ रईस  घरानों  वालों
तुम  समझो अपनी  जिम्मेदारी
भारत भूमि  हमारी   भारत  भूमि  हमारी ।।

Written by Virendra Bharti
                    8561887634

Tuesday, January 3, 2017

बाबुल की गलियाँ कविता

14/12/2016

देखी है यहां  मैने कलियों  की चहचहाहट,
देखी है यहां  मैने कलियों  की खटपटाहट ।

कितनी  नादान  होती है यहां  उनकी  जिंदगी,
शायद    यहीं  शान  होती  है  उनकी  जिंदगी ।

यहां  उनको  ना  कुछ  चिंता  होती  है,
यहां  उनको  ना  कुछ  डर     होता  है ।

देखा है  मैंने  उनको  यहां  खिलके  मुस्काते,
ऑसुओ को देखा ना कभी उनके चेहरे पे आते।

बस यहीं  खुलकर जीते  देखा  है  मैंने  उनको,
फिर कहां ये पल  मिलते  देखा है  मैंने  उनको।

बाबुल  की  गलियों  वाले  दिन  कितने  सुनहरे  होते  है,
याद आते है जीवन में हमेशा वो पल जो चिनहरे  होते है ।

पसंद  आये  तो  जरूर शेअर करना और  कमेंट  करना ।

Written at maharani college
By mad writer virendra bharti
Contact :- 8561887634

गजल एक भारती