मैंने अक्सर राहों मैं कांटे देखे है।
उन कांटो को तेज हवा संग उड़ता देखा है ।।
जो देखा है वो क्या कम देखा है।
यह देखकर बहुत कुछ सीखा है।।
जो सीखा है वो बताना नहीं।
, जो बता दिया वो जताना नहीं।।
जिंदगी मैं ऐसे कई पड़ाव आ जाया करते है ।
जहाँ से सब फिसल जाया करते है।
फिसला वहीं करते है जो अपना आपा खोया करते है।।
हमें ना तो इतना मिट्टी मैं होना चाहिए, ना ही पानी मै।
जो खुद को संभाल भी ना सके।।
शेर हमेशा बिच मैं रहा करते है।
जो बिच मैं रहा करते है राज वो हि किया करते है।।
किनारे पर तो गिदड रहा करते है
जो मौका देख जान बचा भागा करते है।।
हमने आज तक मैदान नहीं छोड़ा
चाहे हमारे साथ कुछ भी हुआ।
बस यहीं अच्छाई है हम मैं ,
जिससे अब तक चोट खाई है हम ने ।।
Mad writer virendra bharti
उन कांटो को तेज हवा संग उड़ता देखा है ।।
जो देखा है वो क्या कम देखा है।
यह देखकर बहुत कुछ सीखा है।।
जो सीखा है वो बताना नहीं।
, जो बता दिया वो जताना नहीं।।
जिंदगी मैं ऐसे कई पड़ाव आ जाया करते है ।
जहाँ से सब फिसल जाया करते है।
फिसला वहीं करते है जो अपना आपा खोया करते है।।
हमें ना तो इतना मिट्टी मैं होना चाहिए, ना ही पानी मै।
जो खुद को संभाल भी ना सके।।
शेर हमेशा बिच मैं रहा करते है।
जो बिच मैं रहा करते है राज वो हि किया करते है।।
किनारे पर तो गिदड रहा करते है
जो मौका देख जान बचा भागा करते है।।
हमने आज तक मैदान नहीं छोड़ा
चाहे हमारे साथ कुछ भी हुआ।
बस यहीं अच्छाई है हम मैं ,
जिससे अब तक चोट खाई है हम ने ।।
Mad writer virendra bharti
No comments:
Post a Comment