Saturday, February 25, 2017

मैं  हुँ  पागल  छोरा 
सकल  से  काला  या  गोरा ।
दिल  से  बड़ा  अच्छा  हूँ 
थोड़ा  अभी  बच्चा  हूँ 

दुनिया  जो  कहे  मुझे  कहने  दो  उसे
यारों  मुझे  बस  मतलब  रखना  अपने  आप  से , 

जब  मैं  बनूँगा  बादशाह  ,
दुनिया  कहेगी  ये  भी  कभी  शाद  था।

जिस  जिस  ने  ठुकराया  मुझे 
मैं  भी  उसे  ठुकराऊँगा ,
जिसने  अपनाया  है
जान  उसी  को  दे  जाऊँगा ।

कहीं  मिले  है  आज  तक
जिंदगी  की  इन  राहों  में , 
कहीं  बिछड़  के  चले 
बहती  हुई   फिजाओं  मैं ।

कुछ  लोग  मुझे  भी  याद  है 
कुछ  लोगों  को  मैं  याद  हूँ।
जिन्हें  मैं  याद  हुँ
उनकी  मैं  फरियाद  हुँ ।

Wednesday, February 22, 2017

बहुत  सी  चीजें  जो  उम्र  भर  सताती  रहीं
तु  ना  आई  पर  तेरी  याद  आती  रहीं ।
तेरी  उम्मीद  का  एक  चिराग  युं  उम्र  भर  जलता  रहा
तु  ना  आई  पर  ख्याल  तेरा  आता  रहा ।

Thursday, February 16, 2017

तबाही

ओ हमनशी,
तबाही मिली है उम्र भर के लिए,
तेरी मोहब्बत मैं ।
मगर जो पल तेरे साथ बिता आया हूँ।
लगता है, उनमें  कई  सदियाँ  जी  आया हूँ।
मेरी धड़कने  तेरे जाने से  रूक  सी गई , 
मेरी कस्तियाँ तेरे जाने से डूब सी गई ।
जो भूचाल  आया  मेरे  दिलों  दिमाग में , 
मेरे  सुख के  संसार  मेें ।
कौन थामेगा  उसको,
कौन  संभालेगा  मुझको।
हम जिस्म  दो,
 जान एक थे।
लगता था ऐसे , 
साथी अनेक थे।
कौन रोकेगा  मेरे  डूबते  हुए  सुरज  को,
कौन संभालेगा मेरी  शान  ओ  शोहरत को।
बहुत दुर चला हूँ  तेरे संग , 
तेरे बिन  तेरे  ख़्वाबों  में ।
मैंने  तोड़  डाला  अपना  हर  ख्वाब , 
तेरी  खुशी के  लिए ।
देखना है,
तुम ख्याल  कितना  रखती  है,
मेरी खुशी का ।
मेरा  एक  सवाल  जो  तुझसे हैं ,
क्या  तु  फिर  नहीं  आ  सकती  उम्र  भर के लिए ?
मेरी   होने  के  लिए ।

Deewana writer virendra bharti 
8561887634
Missing SHEETAL RAJAWAT 

Monday, February 13, 2017

भारती की शायरी

                             ॐ

कुछ आशिकों  के  नाम  हो गए,
कुछ आशिकी में बदनाम हो गए,
कुछ  को  मुरादें  मिल  गयी,
कुछ  की  आज  भी  बाकी  है।

हमारा  क्या  हम  भी  कभी  मुसाफिर  हुआ  करते  थे।
मगर  मोहब्बत  हुई  है  जबसे  उनसे,
बस  मुसाफ़िर  बनकर  रह  गए  है
उनकी  गलियों  कै।

दिदार  उनका  ना  हुआ,
इन्कार  उनका  ना हुआ।
कैसे  लौट  आए,
अभी तो  इन्तजार  उनका  नहीं  हुआ।

ना  वो  कुछ  कह  सकती,
ना  मैं  कुछ  कहा  सकता।
ये  कैसी  मोहब्बत  है,
जिसमें  सिर्फ  खामोशी  और  तन्हाई  है।

सोचा  था  मैंने  ये, एक  दिन  चली  जाएगी  वो।
जब चली जाएगी  वो,  बहुत  याद  आएगी  वो ।
उसे  पाने  की  चाहत  मैं ,
मैं  अपने  इश्क  का  इजहार  कर  बैंठा।
मुझे  क्या  पता था ,
इजहार  करने के बाद मुझसे  दूर चली जाएगी  वो ।

शायद लगा होगा उसे भी,
कुछ वक्त  साथ  गुजारने  के बाद वो  जा  नहीं  पाएगी।


हौंसला  बुलंद  है मेरा,
मैं  एक  दिन  पा लूँगा  उसे।
मैंने  उसे  खोया  ही  कब  है,
खोया  तो  उसने  है  मुझे ।


हर  किसी  से  तुलना  हमारी  करना  मत,
पूरे  जहाँ  मैं  घुमने  के  बाद  भी  मेरा  जैसा  नहीं  मिलेगा ।
वक्त  तो  निकाल  सकता  हूँ  मैं,  मगर पैसा  नहीं  है।
शाहजहाँ  तो  नहीं  मगर  शाहजहाँ  की  तरह  ही हूँ,
बस  कोई  मुमताज  नहीं है ।

Written by Deewana writer virendra bharti
                    8561887634
Missing SHEETAL RAJAWAT






Friday, February 10, 2017

जिंदगी की सीख

मैंने  अक्सर  राहों  मैं  कांटे  देखे  है।
उन कांटो  को तेज  हवा  संग  उड़ता  देखा  है ।।
जो  देखा  है वो क्या  कम  देखा  है।
यह देखकर  बहुत  कुछ  सीखा  है।।
जो सीखा है  वो बताना  नहीं।
, जो बता  दिया वो जताना  नहीं।।

जिंदगी  मैं  ऐसे  कई  पड़ाव  आ जाया  करते है ।
जहाँ  से  सब  फिसल  जाया करते  है।
फिसला  वहीं  करते है जो अपना आपा खोया  करते  है।।

हमें  ना तो इतना  मिट्टी मैं  होना चाहिए, ना ही पानी  मै।
जो खुद को  संभाल  भी  ना  सके।।

शेर हमेशा  बिच  मैं  रहा करते है।
जो बिच मैं  रहा करते है राज  वो हि  किया  करते है।।
किनारे  पर तो गिदड  रहा करते  है
जो  मौका  देख जान बचा भागा करते है।।

हमने आज  तक मैदान  नहीं  छोड़ा
चाहे  हमारे  साथ  कुछ  भी हुआ।

बस यहीं  अच्छाई  है हम मैं ,
जिससे  अब तक चोट खाई  है हम ने ।।

Mad writer virendra bharti


Wednesday, February 8, 2017

सजा

अजीब सी चुभन अजीब अजीब  सी खुशी
जब डांटे  वो  शिक्षक ।
नफरत  उनके नियमो  से  मोहब्बत  हमारे  कामों  से ।
एक अजीब सी  भावना  आकर यूं  चली  जाती  है ।
फिर  थोड़ा  सा प्यार  भी  आता है ।
गुस्सा  बहुत  आता  है।  बहुत घर्णा  महसूस  होती  है।
आज फिर बचपन की तरह शिक्षक  से जुबान  लड़ाने  को मन  करता  है ।
पर अब  वक्त के  साथ मै  भी  बदल  चुका  हूँ ।
अपने अंदर के उस जानवर  को  खत्म  कर चुका  हूँ ।
आज उस शिक्षक की अहमियत  समझ आती है।
कई  दफा  मेरे  हर  शिक्षक  की तस्वीर  सामने  आती है ।
लेकिन  एक शिकायत  उनसे  आज  भी है।
क्यों  नही  समझा  उन्होंने  आज  तक  मुझे ?
अब  मुझे  बहुत  जल्दी  बहुत  कुछ  करना  है।
वक्त  कम है  मेरे  पास  जो  किस्से  अधूरे  छोड़  आया  उन्हें
अब  पूरा  करना  है।
मैं  फिर  एक  नया  रूप  लेके जी  रहा हूँ ।
कुछ  नया  करने  के  लिए ।
एक  दफा  फिर  इतिहास  रचने  के  लिए ।
बदलने  दो  मुझे यारों
एक  दफा  फिर  मत  रोको
जब मैं  गलत  था  तो  कोई  रोकने नहीं  आया ।
आज जब सहीं  करने  जा  रहा  हूँ
तो तुम  मेरी  रफ्तार  को  धीमी  कर रहें  हो।
क्यूं  फिर  मुझे  कभी -2 WANTED बनने  पर  मजबूर  हो
मुझे  अब उस  दुनिया  से  नफरत  है।
क्यों  उसके  किस्से  सुनाते  हो ।
रहने  दो  पहली बार  राह  पकड़ी  है भटकूँगा  नहीं ।

MAD WRITER VIRENDRA BHARTI
                8561887634


Saturday, February 4, 2017

छुना है जिसको आसमान

छुना है जिसको आसमान  बस एक बात  समझ लो,
सपनो से नही  होगी  उड़ान  बस एक  बात  समझ  लो।

कुछ  करके  दिखाना है तो कुछ  करना  ही  होगा।
रूकने  से  नहीं  होगा  काम  आगे  बढना  ही  होगा ।।

अब तो मैंने  भी समझ  ली,  अब तो तुम भी  समझ  लो।

जिसने छोड़ा  है  अपना  काम वो एक बात  समझ  लो।
अब  रूकने  से  नहीं  होगा  काम  बस  एक  बात समझ लो।।

By mad writer virendra bharti
                 8561887634

गजल एक भारती