Gujari hui umar ko Mt talasho varna kuch gile shikve bhi taja ho jayenge
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गजल हर रोज मरने के बाद । चंद रोज जिया तो क्या ।। हर तरफ से ठुकरा देने के बाद । सबक ए जिंदगी लिया तो क्या ।। राह अपनी वक्त निकल...
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तुम तो रूठ सकती हो। लेकिन मैं नहीं रूठ सकता ना।। जिस दिन मैं रूठा । उस दिन तेरे मेरे बिच । सबकुछ खत्म हो जाएग...