Thursday, March 23, 2017

महादान


रक्तदान नहीं  है ये, 
ये है महादान ।
पैसे से भी बड़ा दान ये, 
ये श्रम से भी बड़ा दान ।।
इक जीवन के लिए , 
ये है दानों का दान ।।
इसका मोल नहीं  कोई , 
ये बड़ा  अनमोल है ।
जो इसका मोल लगाये , 
जिंदगी उसकी बेमोल है।।
यह बचाता है  कई जीवन , 
दिखाता  अपनी करामात  है।
काम इसका अमूल्य  है, 
ये बड़ा बहुमूल्य है।।
इसीलिए  रक्त  दान  करो,
  महादान  करो ।
किसी की जिंदगी बचाओ ।।
लेखक  और  निवेदक  विरेन्द्र भारती 
 8561887634

Friday, March 10, 2017

क्या है होली


प्यार का नाम है होली,
रंगों  का जाम है होली ।
जो खेली हमने रंगों  से बनाके टोली,
आखिर में  वहीं  तो है होली।।

खुशी का रंग  चढ़ाने  का नाम है होली,
दुःख का  रंग  उड़ाने का नाम है  होली ।
जो भर दें  खुशियों  से  झोली ,
आखिर  में  वहीं  तो  है होली ।।

गिले  शिकवे भुलाने का नाम है होली,
दुरियाँ मिटाने का नाम है  होली ।
जो हमनें दुसरों से  बोली  मीठी बोली,
आखिर  में  वहीं तो है होली ।।

एक दुसरे को रंगों  में  रंगने का नाम है होली,
एक दूसरे की मुस्कान बनने  का नाम है होली ।
जो एक दूसरे को साथ चलना सिखाती,
आखिर में  वहीं तो है होली ।।

दिल  में  बसने  का  नाम है होली ,
दुआओं  में  छाने  का  नाम है होली ।
जो  एक दूसरे के  काम  आना सिखाती,
आखिर में  वहीं तो है होली ।।

  लेखक विरेन्द्र भारती
         8561887634


Monday, March 6, 2017

चाहत

कोई चाहत में  हँसता गया ।
तो कोई चाहत में  रोता गया।।
अजीब दर्द  था चाहत में  ।
अजीब खुशी  थी  चाहत  में ।।
जो हर कोई महसूस  करता  गया।।
कोई बढ़ता  गया ।
तो कोई  टूटता गया।।
हर कोई इसमें  झूलता गया।।
कोई संभलता गया ।
 तो कोई बिखरता गया ।।
हर कोई वक्त  से  सिखाता  गया।



Thursday, March 2, 2017

सुन लो मेरे प्यारे बच्चो

सुन लो मेरे प्यारे बच्चो
तुम्हें  माँ  भारती पुकारती
उपकार है उसके कहीं तुम पर
तुमको  है  ये  जानना
सींचा  है  उसने  तुम्हें  अपनी  शीतलता  से
ये  है  तुमको  मानना
मैं  भारती  शीतल  हूँ
  मुझमें  गुलज़ार  सी  धार  नहीं
मगर  मैं  कुछ  तुमको   बतलाता  हूँ
क्या  कर्तव्य  नहीं  तुम्हारे  इस  धरा  के  प्रति
जिसमें  तुमने  जन्म  लिया
तुम्हें  पता  है  न  जाने  कितने  महापुरुषों  ने  मिलकर  इसका   गौरव  बढ़ाया  है
फिर  तुम  क्यों  करते  हो  वो  कुकर्म   जिसे  देख  इसका  जी  घबराया  है ।
बहन  बेटियों  से  हो  रहा  दुराचार   क्या  तुम्हें  दिखता  नहीं।
अब  तो  उठो  मेरे  भारत  के  विरेन्द्रों  ।
क्या  तुम्हें  कुछ  अच्छा  जचता  नहीं ।।

गजल एक भारती