Tuesday, October 25, 2016

नशा दीवानगी का विरेन्द्र भारती

हर हवा के झोंके ने मुझसे ये कहा,
 आ चल तुझे भी थोड़ी सेर करा दु।
बहते हुए थोड़ा  आगे पहुँचा दु ;
एकेला है तु थोड़ा वक्त तेरे संग बिता लूँ।।

मैनें भी कह दिया___
तेरे साथ की जरूरत नहीं मुझे;
मुझे तो बस एहसास ही काफी है;
उसके साथ होने का।।

सेर सपाटे बिन साथी अच्छे नहीं लगते।
बहा वो करते है;
जिनका कोई मुकाम नहीं;
वक्त भले ही लग जाएं जीवन मैं ;
मगर मुझे एक मुकाम बनाना है।।

हौंसले बुलंद है मेरे कुछ कर दिखाना है।
एकेला मैं ना कल था ना आज हुँ।
कल भी मेरा दिल उसका दिवाना था;
आज भी सिर्फ उसी का दिवाना है।

वक्त बदल गया;
लेकिन मेरी दीवानगी नहीं बदली,
एक बार उसकी दीवानगी के नशे से भरपूर जब मैं गीरा,
तो उसने पूछा ;

नशा उतरा या नहीं?
मैनें भी कह दिया;
अभी चढ़ रहा है;
अब तो ये मेरी विदाई मैं भी साथ जाएगा ।
Written by
Deewana virendra bharti
8561887634


Monday, October 24, 2016

बिन चाह राह कैसी विरेन्द्र भारती

जिन्दगी के न जाने कौनसे पडाव मैं हुँ,
जिन्दगी के न जाने कौनसे बहाव मैं हुँ ।।

बनाना है मुझे जिन्दगी मैं एक मुकाम,
मैं किसी बहाव मैं हुँ या बना रहा हुँ मुकाम।।

जिन्दगी बहुत कुछ सीखा गई,
या मुझे बिका गई ।
मुझे नहीं मालूम कुछ इसके बारे मैं,
मैं जानता हुँ बस इतना चल रहा हुँ राहों मैं ।।

मंजिल का मेरी मुझे पता है,
लेकिन वहाँ कोई सीधी राह नही जाती।।

सखा बहुत है मेरे मगर कोई साथ नहीं आता,
कहते सब है; अपनी - अपनी मुझे।
लेकिन निभाने कोई साथ नहीं आता।।

मैं आज वक्त और हालात के उस जाल मैं फसल गया हुँ,
जहाँ से निकल कर कोई राह नहीं जाती।।

By virendra bharti
8561887634

Sunday, October 23, 2016

GOLU GOSWAMI

1. जो वक्त का पाबन्ध होता है।
    वह जिन्दगी में सदैव सफल होता है।

2. हम जो भी काम करते है उसे तन्मयता के साथ करने पर वह कार्य सदैव सफल होता है।

3. हमारा ध्यान सदैव अपने लक्ष्य पर रहना चाहिए ।

रोग दुर भगाए =) ओम् गणायै पूर्णत्व सिध्दि देहि - देहि नम:
                       भगवती मृत संजीवनी मम् शांति कुरू - कुरू                          स्वाहा:

4. वक्त बहुत कम है, वक्त को बर्बाद न करो।
वक्त बिछुड़ जाएगा, वक्त को आजाद ना करो।

5. वक्त,  वक्त ए गीत है।
   वक्त,  वक्त ए कहानी है।
   वक्त, वक्त  ए शायरी है।
   वक्त, वक्त ए चुटकला है।
   वक्त है तो सब कुछ है, वक्त नही तो कुछ नहीं ।

विरेन्द्र

1. वक्त ये अनमोल है, नहीं इसका कोई मोल ।
   जो इसका मोल लगाये , जिन्दगी उसकी अनमोल ।
   वक्त ये अनमोल है, नहीं इसका कोई मोल
   जो इसका मोल समझे , जिन्दगी उसकी अनमोल ।


2. आज हमें आ गई,  खासियत हमारी याद ।
दुनिया भुला देंगे,  जिगर ए अन्दाज ।।

Saturday, October 22, 2016

कर्ज गौरी मेरी मुहब्बत का चुकाया नहीं

कर्ज गौरी मेरी मुहब्बत का चुकाया नहीं,
तेरे खाते में मगर कोई बकाया भी नही ।।

यू सितम मुझ पे किसी और ने ढाया भी नहीं,
कोई तेरे सिवा दिल मे समाया भी नहीं ।।

हमने कोई राज मुहब्बत का छुपाया भी नहीं,
घाव सीने का जमाने को दिखाया भी नहीं ।।

कह के भी कुछ न गयी; लौट के आयी भी नहीं,
मेने पूछा भी नहीं; तुने बताया भी नहीं ।।

यार रूठा हुआ ; सौ बार मनाया होगा,
जौ मुकद्दर कभी रूठा तो मनाया भी नहीं ।।

फिर भी उम्मीद ए वादा रखते है हम हांलाकि,
आज तक वादा कोई उसने निभाया भी नहीं ।।

राही ए इश्क है ; तपता हुआ सहरा उलफत,
दूर तक जिसमे कोई ; पेड़ का साया भी नही ।।

खुद को खो देने से मंजिल का पता मिलता है,
जिसने खोया नहीं उसने पाया भी नहीं ।।

याद से क्यो न रहे दूर खुशी जब उसने,
हंसते सीने से कभी लगाया भी नहीं ।।

By GHANSHYAM BHARTI 
MOBILE no. 9782484842

शाकाहारी बनो

कंद मूल खाने वालो से,
मांसाहारी डरते थे।
पोरस जैसे शूरवीर को,
नमन सिकंदर करते थे ।
चौदह वर्षों तक खुखारी,
वन में जिनका धाम था ।
मन मन्दिर में बसने वाला ,
शाकाहारी राम था ।
चाहते तो खा सकते थे वो,
मांस ; पशु के ढेरो में ।।
लेकिन उनको प्यार मिला,
शबरी के झूठे बेरो में ।।
चक्र सुदर्शन धारी थे,
गोवर्धन पर भारी थे ।।
मुरली से वश करने वाले,
गिरधर शाकाहारी थे ।।
पर सेवा पर प्रेम का परचम,
चोटी पर पहराया था ।।
निर्धन की कुटिया मे जाकर,
जिसने मान बढाया था ।।
सपने जिसने देखे थे,
मानवता के विस्तार के ।।
नानक जैसे महा-संत थे,
वाचक शाकाहार के ।।
उठो जरा तुम पढकर देखो,
गौरव मय इतिहास को ।।
आदम से गाँधी तक फैले,
इस नीले आकाश को ।।


दया की ऑंखें खोल देख लो,
पशु के करूण क्रंदन को ।।
इंसानो का जिस्म बना है,
शाकाहारी भोजन को ।।
अंग लाश के खा जाए,
क्या फिर भी वो इन्सान है ।।
पेट तुम्हारा मुर्दाघर है,
या कोई कब्रिस्तान है ।।
आंखे कितनी रोती है जब,
ऊंगली  अपनी जलती है ।।
सोचो उस तड़पन की हद जब,
जिस्म पर आरी चलती है ।।
बेबसता तुम पशु की देखो,
बचने के आसार नहीं ।।
खाने से पहले बिरयानी,
चीख जीव की सुन लेते ।।
करूणा के वश होकर तुम भी,
गिरी गिरनार को चुन लेते ।।

   शाकाहारी बनो ।।

By GHANSHYAM BHARTI
MOBILE.  NO. 9782484842

Tuesday, October 18, 2016

A true lovers pain by virendra bharti

Akela chalna Sikha gaya hu m,
Mujhe kisi k saath ki jarurat nhi,
Aag hu m,
Mujhe kisi barsaat ki jarurat nhi,
Tu salamat rhe dua yahi karta hu,
Maut se m darta nhi;
Maut ko Chua karta hu,
Gar kisi mod par;
Saanse meri chinega wo khuda,
Bs ek aakhri khawaish hogi meri,
Agla Janam tere saath ho,
Aaj jindagi ne or tune aise mod par pahucha diya,
Aage dekhu to kua or piche gadda dikhai diya,
Bahut baar chaha Maine wapis us duniya m lotne ko,
Jaha tu saath thi mere,
Lekin waha jakar dekha to aankha bhar aai,
Teri yaad bahut aayi,
Kuch pal ke liye to meri Saanse ruk gayi thi,
Bahut socha Maine tere pass aane ko,
Magar tere kuch shabdo ne Mujhe baandha diya,
Aaj tujhse dur hu m,
Aaj bhi teri yaado m chur hu m,
Char mahino  se jayada ho gaye tera chehara dekhe,
Tere Jane k baad to jine ki khawaish khatam ho gayi thi,
Meri duniya veeran ho gayi thi,
Tab bhi sirf tere baare m socha tha.
Aaj bhi tere baare m sochta hu,
Teri khawaisho k liye jee raha hu m,
Tum dekhana ek din tumhari khawaish puri hogi

Written by
Mad writer virendra bharti
8561887634
25/09/2015 Friday 7:35pm

Friday, October 7, 2016

Aashiq bhi hu deewana bhi hu..,
Chatra Hito ka parwana bhi hu..,
Jab Jab jarurat padi h chatra hito m sahayog ki ....,
Har waqt saath dene wala saathi bhi hu..,
Kuch nhi chaiye Mujhe or mere saathiyo ko..,
Bs ek insaaf ka aadi bhi hu.....,
Chatra Hito m jo uchit kare uska m saathi hu...,
Shayar bhi hu,
Dost bhi hu,
Deewana bhi hu,
Jab Jab jarurat padegi chatra hito m meri ...,
Tab tab ek Aavaj bankar ubharne wala Kedi bhi hu.,
Chatra ekta jindabadeepak

By VIRENDRA BHARTI
8561887634


Jinhe waqt or kismat bichadayegi unhe khuda mil aayega,
M na waqt k sahare jija hu na kismat k sahare ,
M to bs sirf khuda k sahare jija hu sirf khuda k sahare
Meri najaro m khuda h wo mere liye,
Isiliye shayad Juda h wo Mujhse,
Kya kahu m uske liye,
Meri har dua h jiske liye.

गजल एक भारती