Friday, December 30, 2016

नया साल मुबारक 2017 कविता

नए साल मैं  नई हसरत  रखना।
पुरा करने का जज्बा  संग रखना ।।

हसरतों को अपनी उड़ान  देना ।
सपनों को अपनी नई पहचान  देना।।

संग में  रखना  सबको साथ ।
हर काम में  बंटाना सबको हाथ।।

एक काम इस साल  ऐसा करना।
नेक काम  कहलाने  जैसा करना।।

सुनहरा  हो तुम्हारा हर पल ।
खिल जाएं  तुम्हारा हर कल।।

मन हो जाएं  इतना साफ ।
लगे ना तुमको कोई पाप ।।

भूल जाना अपनी बुराई ।
देखना दुसरो में  अच्छाई ।।

भारतीय परंपरा  को आगे बढ़ाना ।
बढ़ाके इसको नई पहचान  दिलाना ।।

बुजुर्गो  का सम्मान करना ।
बुराई का अपमान  करना ।।

नये रिश्तो का स्वागत  करना ।
पुरानों  को   यु  ही  निभाना ।।

आगे बढ़ते  जाना  ।
अच्छा करते जाना ।।

नये साल का राम राम।।


Sunday, December 11, 2016

मोदी की सफाई

मोदी जी तो मन मोजी है।
सबकी उड़ा दे निंद ऐसे वो फौजी है।।

क्या अनोखी सोच  उन्होंने  खोजी है।
जो काले अमीरों  के लिए बोझी है।।

बोझ ये अमीर ढो रहे है।
काले धन को खो रहे है ।।

बरसो से जो काला पलता गया है।
इक पल मैं  वो चलता गया है।।

हराम खोरो की निंद  खो रही है।
और मजदूरों  की चैन हो रही है।।

आज गरीब नाच रहा है।
काली पौथी बांच रहा है।।

अमीरो के काले कारनामों   का  चिट्ठा तो देखों ।
कहीं   मिलेगा नोटो का ढेर  तो कहीं  किट्टा  तो देखों ।।

आज हिन्दुस्तान  का सूरज  ऐसा  चमक रहा है।
मानों  पूरा हिन्दुस्तान  एक साथ दमक रहा है।।

विमुदरीकरण के स्वच्छता  अभियान की  तो बात निराली  है।
बिना हथियार कर दी सबकी जेब खाली है।।

आज गरीब  को मोदी  जी भा रहे है।
और अमीर  को जला रहे है।।

आज फिर  हिन्दुस्तान में  उजाला होते देखा है ।
जो किसी लाईट ने नहीं  फेंका  है।।

Deewana Virendra Bharti
8561887634
02/12/16

Tuesday, November 29, 2016

All his poem by Virendra Bharti

June 18 2016

Someone is crazy behind work,
Someone is crazy behind name,
In today's world everyone is crazy.
All have forgotten him,
Which are all permit.
Someone is predator ,
Then someone is seraph .
But all that would thrive in him shelter .
That God all Gardner ,
All caretaker .


By mad writer virendra bharti
Mobile number 8561887634



Tuesday, November 22, 2016

I am a funny boy

Mad writer virendra bharti
8561887634

I am a funny boy.
I like to enjoy.
I not have a tension.
So I live always happy.
It is my hobby.
I live happy.

I live happy.
I wanna all live happy.
All live happy,
 nothing live sad.
Nothing person fight to each other.
&
They all live with love.
I wanna it.
They don't missing every second
without enjoy.
I salute to my nation.
My nation is India.
India is my loving country.
I am very happy.
Because
I arrive in India.
India is good country.
But something is bad.

But something is bad.
As a politics,
I don't like politics,
So I am a funny boy.
I am a good boy.

By mad writer virendra bharti
8561887634


Monday, November 21, 2016

राजनीति

लेखक विरेन्द्र भारती
23/6/13

 आज की राजनीति ने हमारे देश को बहुत भ्रष्ट बना दिया है। आज राजनीति में लोग अपना फायदा देखते है। वह देश को नोच कर खा रहे है। वह काला धन जमा कर टैक्स की चोरी कर देश की भलाई मैं बाधक बन रहे है। आज बड़े - बड़े राजनेता सत्ता हासिल करने के लिए  कई दांव - पैच खेल रहे है । आपस में एक दुसरे पर टिप्पणियाँ कर रहे है ।

Desire/ इच्छा

लेखक विरेन्द्र भारती
 19 June 2013

राजेश एक बहुत ही होनहार लड़का था। उसके पिताजी चाहते थे कि वह पढ़ लिख कर इन्जिनियर बने । इसीलिए उन्होंने उसे 11 वीं  12 वीं   में साइंस मैथ दिला दी । और साथ मैं यह भी कहा की तु ज्यादा नहीं तो डिग्री प्राप्त कर लें । तुझे नौकरी में दिला दूंगा वह गांव से इन्जिनियर की पढ़ाई करने जयपुर शहर में भेज दिया । वह  उसे पर महिने का खर्चा 3200 रूपए भी भेजते थे । पर राजेश का मन पढाई में नहीं लगता था। वह खुब पैसा व नाम दोनों कमाना चाहता था। वह चाहता था की लोग  उसे जाने । वह हर ऐशो-आराम पाना चाहता था; जिसके लिए वह बहुत पैसा कमाना चाहता था। वह खुद का एक व्यवसाय करना चाहता था।

Monday, November 14, 2016

An indian girl by virendra bharti

08/06/2016
I meet with a beautiful Indian girl,
She was looking so nice.
Her face was so attractive,
She was wearing a glass,
Who was increasing her beauti.

But

Her heaRt was more beautiful than her face.
I meet with her during my college life.
When
I passed some time with her,
I found, she was closest at my heart.
I always remember to her for her good nature.

As I meet to her,
As many person meet each other,
Who puts a sign on our heart.

Who always become memorable in our life.
As some person gives us inspiration,
for doing something in our life.
I am thankful to that.
I always miss her in my life every second.

So I am nostalgic in SHEETAL'S memory
Vs
Virendra bharti
8561887634

Sunday, November 13, 2016

घरौंदो में बचपन विरेन्द्र भारती

मैंने देखा है, खेतौ में उन लहलहाती फसलो को।
मगर मैंने देखा है, घरौंदो में पलते बच्चो को ।।

क्या है जिंदगी,  वो नहीं जानते।
जिंदगी को अपना,  वो नहीं मानते ।।

दो वक्त की रोटी, बड़ी मुश्किल से नसीब होती है जिनको ।
बिस्तरों का सुख क्या होता है, वो नहीं जानते ।।

नंगे पाँव रहते है जो, कंकरो की चुभन को नहीं जानते ।।

अक्सर देखता हुँ, उनको में मुस्कुराते ।
शिकस्त को देखा ना कभी, उनके चेहरे पे आते ।।

अक्सर देखा है मैंने, उनको दुसरो के आगे हाथ फैलाते ।
फैलाकर हाथ वो, अपना पेट है पालते ।।

क्या होती है लाज शर्म, वो नही जानते ।
पापी पेट का सवाल है, बस इतना ही मानते ।।

भारती कोई जौहरी नहीं,  जो सवार सके सबका जीवन ।
मगर संवारेगा, कुछ का बचपन ।।

 Mad writer virendra bharti
8561887634


Wednesday, November 2, 2016

मेरी उपलब्धि विरेन्द्र भारती

हर वक्त का हिसाब रखता हूँ,
उसकी जुदाई की किताब रखता हूँ।
जब भी सोचता हूँ; मै अपनी उपलब्धि के बारे मैं,
तो मैं खुद को बर्बाद दिखता हूँ ।।
Mad writer virendra bharti 
8561887634

मेरी कमजोरी विरेन्द्र भारती

मेरी कमजोरी तु है,
लेकिन मैं अपनी इस कमजोरी को ।
दुनिया को अपना हथियार नही बनाने दूँगा ।।

नशा दीवानगी का विरेन्द्र भारती


Tuesday, October 25, 2016

नशा दीवानगी का विरेन्द्र भारती

हर हवा के झोंके ने मुझसे ये कहा,
 आ चल तुझे भी थोड़ी सेर करा दु।
बहते हुए थोड़ा  आगे पहुँचा दु ;
एकेला है तु थोड़ा वक्त तेरे संग बिता लूँ।।

मैनें भी कह दिया___
तेरे साथ की जरूरत नहीं मुझे;
मुझे तो बस एहसास ही काफी है;
उसके साथ होने का।।

सेर सपाटे बिन साथी अच्छे नहीं लगते।
बहा वो करते है;
जिनका कोई मुकाम नहीं;
वक्त भले ही लग जाएं जीवन मैं ;
मगर मुझे एक मुकाम बनाना है।।

हौंसले बुलंद है मेरे कुछ कर दिखाना है।
एकेला मैं ना कल था ना आज हुँ।
कल भी मेरा दिल उसका दिवाना था;
आज भी सिर्फ उसी का दिवाना है।

वक्त बदल गया;
लेकिन मेरी दीवानगी नहीं बदली,
एक बार उसकी दीवानगी के नशे से भरपूर जब मैं गीरा,
तो उसने पूछा ;

नशा उतरा या नहीं?
मैनें भी कह दिया;
अभी चढ़ रहा है;
अब तो ये मेरी विदाई मैं भी साथ जाएगा ।
Written by
Deewana virendra bharti
8561887634


Monday, October 24, 2016

बिन चाह राह कैसी विरेन्द्र भारती

जिन्दगी के न जाने कौनसे पडाव मैं हुँ,
जिन्दगी के न जाने कौनसे बहाव मैं हुँ ।।

बनाना है मुझे जिन्दगी मैं एक मुकाम,
मैं किसी बहाव मैं हुँ या बना रहा हुँ मुकाम।।

जिन्दगी बहुत कुछ सीखा गई,
या मुझे बिका गई ।
मुझे नहीं मालूम कुछ इसके बारे मैं,
मैं जानता हुँ बस इतना चल रहा हुँ राहों मैं ।।

मंजिल का मेरी मुझे पता है,
लेकिन वहाँ कोई सीधी राह नही जाती।।

सखा बहुत है मेरे मगर कोई साथ नहीं आता,
कहते सब है; अपनी - अपनी मुझे।
लेकिन निभाने कोई साथ नहीं आता।।

मैं आज वक्त और हालात के उस जाल मैं फसल गया हुँ,
जहाँ से निकल कर कोई राह नहीं जाती।।

By virendra bharti
8561887634

Sunday, October 23, 2016

GOLU GOSWAMI

1. जो वक्त का पाबन्ध होता है।
    वह जिन्दगी में सदैव सफल होता है।

2. हम जो भी काम करते है उसे तन्मयता के साथ करने पर वह कार्य सदैव सफल होता है।

3. हमारा ध्यान सदैव अपने लक्ष्य पर रहना चाहिए ।

रोग दुर भगाए =) ओम् गणायै पूर्णत्व सिध्दि देहि - देहि नम:
                       भगवती मृत संजीवनी मम् शांति कुरू - कुरू                          स्वाहा:

4. वक्त बहुत कम है, वक्त को बर्बाद न करो।
वक्त बिछुड़ जाएगा, वक्त को आजाद ना करो।

5. वक्त,  वक्त ए गीत है।
   वक्त,  वक्त ए कहानी है।
   वक्त, वक्त  ए शायरी है।
   वक्त, वक्त ए चुटकला है।
   वक्त है तो सब कुछ है, वक्त नही तो कुछ नहीं ।

विरेन्द्र

1. वक्त ये अनमोल है, नहीं इसका कोई मोल ।
   जो इसका मोल लगाये , जिन्दगी उसकी अनमोल ।
   वक्त ये अनमोल है, नहीं इसका कोई मोल
   जो इसका मोल समझे , जिन्दगी उसकी अनमोल ।


2. आज हमें आ गई,  खासियत हमारी याद ।
दुनिया भुला देंगे,  जिगर ए अन्दाज ।।

Saturday, October 22, 2016

कर्ज गौरी मेरी मुहब्बत का चुकाया नहीं

कर्ज गौरी मेरी मुहब्बत का चुकाया नहीं,
तेरे खाते में मगर कोई बकाया भी नही ।।

यू सितम मुझ पे किसी और ने ढाया भी नहीं,
कोई तेरे सिवा दिल मे समाया भी नहीं ।।

हमने कोई राज मुहब्बत का छुपाया भी नहीं,
घाव सीने का जमाने को दिखाया भी नहीं ।।

कह के भी कुछ न गयी; लौट के आयी भी नहीं,
मेने पूछा भी नहीं; तुने बताया भी नहीं ।।

यार रूठा हुआ ; सौ बार मनाया होगा,
जौ मुकद्दर कभी रूठा तो मनाया भी नहीं ।।

फिर भी उम्मीद ए वादा रखते है हम हांलाकि,
आज तक वादा कोई उसने निभाया भी नहीं ।।

राही ए इश्क है ; तपता हुआ सहरा उलफत,
दूर तक जिसमे कोई ; पेड़ का साया भी नही ।।

खुद को खो देने से मंजिल का पता मिलता है,
जिसने खोया नहीं उसने पाया भी नहीं ।।

याद से क्यो न रहे दूर खुशी जब उसने,
हंसते सीने से कभी लगाया भी नहीं ।।

By GHANSHYAM BHARTI 
MOBILE no. 9782484842

शाकाहारी बनो

कंद मूल खाने वालो से,
मांसाहारी डरते थे।
पोरस जैसे शूरवीर को,
नमन सिकंदर करते थे ।
चौदह वर्षों तक खुखारी,
वन में जिनका धाम था ।
मन मन्दिर में बसने वाला ,
शाकाहारी राम था ।
चाहते तो खा सकते थे वो,
मांस ; पशु के ढेरो में ।।
लेकिन उनको प्यार मिला,
शबरी के झूठे बेरो में ।।
चक्र सुदर्शन धारी थे,
गोवर्धन पर भारी थे ।।
मुरली से वश करने वाले,
गिरधर शाकाहारी थे ।।
पर सेवा पर प्रेम का परचम,
चोटी पर पहराया था ।।
निर्धन की कुटिया मे जाकर,
जिसने मान बढाया था ।।
सपने जिसने देखे थे,
मानवता के विस्तार के ।।
नानक जैसे महा-संत थे,
वाचक शाकाहार के ।।
उठो जरा तुम पढकर देखो,
गौरव मय इतिहास को ।।
आदम से गाँधी तक फैले,
इस नीले आकाश को ।।


दया की ऑंखें खोल देख लो,
पशु के करूण क्रंदन को ।।
इंसानो का जिस्म बना है,
शाकाहारी भोजन को ।।
अंग लाश के खा जाए,
क्या फिर भी वो इन्सान है ।।
पेट तुम्हारा मुर्दाघर है,
या कोई कब्रिस्तान है ।।
आंखे कितनी रोती है जब,
ऊंगली  अपनी जलती है ।।
सोचो उस तड़पन की हद जब,
जिस्म पर आरी चलती है ।।
बेबसता तुम पशु की देखो,
बचने के आसार नहीं ।।
खाने से पहले बिरयानी,
चीख जीव की सुन लेते ।।
करूणा के वश होकर तुम भी,
गिरी गिरनार को चुन लेते ।।

   शाकाहारी बनो ।।

By GHANSHYAM BHARTI
MOBILE.  NO. 9782484842

Tuesday, October 18, 2016

A true lovers pain by virendra bharti

Akela chalna Sikha gaya hu m,
Mujhe kisi k saath ki jarurat nhi,
Aag hu m,
Mujhe kisi barsaat ki jarurat nhi,
Tu salamat rhe dua yahi karta hu,
Maut se m darta nhi;
Maut ko Chua karta hu,
Gar kisi mod par;
Saanse meri chinega wo khuda,
Bs ek aakhri khawaish hogi meri,
Agla Janam tere saath ho,
Aaj jindagi ne or tune aise mod par pahucha diya,
Aage dekhu to kua or piche gadda dikhai diya,
Bahut baar chaha Maine wapis us duniya m lotne ko,
Jaha tu saath thi mere,
Lekin waha jakar dekha to aankha bhar aai,
Teri yaad bahut aayi,
Kuch pal ke liye to meri Saanse ruk gayi thi,
Bahut socha Maine tere pass aane ko,
Magar tere kuch shabdo ne Mujhe baandha diya,
Aaj tujhse dur hu m,
Aaj bhi teri yaado m chur hu m,
Char mahino  se jayada ho gaye tera chehara dekhe,
Tere Jane k baad to jine ki khawaish khatam ho gayi thi,
Meri duniya veeran ho gayi thi,
Tab bhi sirf tere baare m socha tha.
Aaj bhi tere baare m sochta hu,
Teri khawaisho k liye jee raha hu m,
Tum dekhana ek din tumhari khawaish puri hogi

Written by
Mad writer virendra bharti
8561887634
25/09/2015 Friday 7:35pm

Friday, October 7, 2016

Aashiq bhi hu deewana bhi hu..,
Chatra Hito ka parwana bhi hu..,
Jab Jab jarurat padi h chatra hito m sahayog ki ....,
Har waqt saath dene wala saathi bhi hu..,
Kuch nhi chaiye Mujhe or mere saathiyo ko..,
Bs ek insaaf ka aadi bhi hu.....,
Chatra Hito m jo uchit kare uska m saathi hu...,
Shayar bhi hu,
Dost bhi hu,
Deewana bhi hu,
Jab Jab jarurat padegi chatra hito m meri ...,
Tab tab ek Aavaj bankar ubharne wala Kedi bhi hu.,
Chatra ekta jindabadeepak

By VIRENDRA BHARTI
8561887634


Jinhe waqt or kismat bichadayegi unhe khuda mil aayega,
M na waqt k sahare jija hu na kismat k sahare ,
M to bs sirf khuda k sahare jija hu sirf khuda k sahare
Meri najaro m khuda h wo mere liye,
Isiliye shayad Juda h wo Mujhse,
Kya kahu m uske liye,
Meri har dua h jiske liye.

Friday, August 26, 2016

बदलाव

सुर बदलेंगे तार बदलेंगे,
शेरों के शिकार बदलेंगे,
एक बार वापिस गुम हो जाने दो,,,
लौटने पर मेरे यारों के विचार बदलेंगे ।
Mad writer
Virendra bharti
8561887634

Friday, July 15, 2016

Gujari hui umar ko Mt talasho varna kuch gile shikve bhi taja ho jayenge

Wednesday, July 6, 2016

Tum m itni himmat nhi ki mera muqabala kar sako  ,
Apne barabar ka koi saathi dusara dhund lena.
Mad writer
virendra bharti
9636937803

Tuesday, July 5, 2016

Shayar bhi hu,
Anadi bhi hu,
Mano to kaccha khiladi bhi hu,
Ye maana ki tere jaisa nhi,
Magar waqt k saath chalne wala saathi hu

Mad writer
Virendra bharti
9636937803

Friday, June 24, 2016


Tu chori rajputane ki,
 M chora mahant gharane ka,
Tu choki thane se dare nhi,
Apne aage koi tike nhi,

Itihaas gavah h Apni yaarI ka,
Chahe itihaas dekha lo kisi bhi raj gharane ka,

Chahe baat ho jaipur ki,
Ya ho kumbhal gadh ki,
Chahe jhan ka itihaas utha lo,
Naam apna mita nhi,

Phir Kyo bhula diya hame,
Jab tutI parampara raj gharane ki,
M punchata hu kya rajputane ke khoon m wo ubal nhi raha,
Jo mere bharat ki mitti ki khushbu kam ho gayi,
Kya wo is badhti hui dareendagi ko nhi rok sakte,
Jaago mere bharat vasIyo ,
Bharat loot raha h ,
Ise bacha lo,
Jai hind jai bharat

By mad writer
virendra bharti
9636937803

Wednesday, June 22, 2016

vakt laga mujhe,
 unko naali se uthane m,
Magar usse bhi jayada waqt lagega,
unhe manjil tak pahuchane m

Saturday, June 18, 2016

Koi kaam ka deewana h,
Koi naam ka deewana h,
Aaj ki duniya m har koi deewana h,
Bhul gaye h sab usko,
Jo sabka parwana h,
Koi dareenda h
To koi farista h
Magar sab usi panah m palate h
Wo khuda sabka Mali
Sabka rakhwala h
By mad writer virendra bharti
9636937803


गजल एक भारती