लेखक विरेन्द्र भारती
19 June 2013
राजेश एक बहुत ही होनहार लड़का था। उसके पिताजी चाहते थे कि वह पढ़ लिख कर इन्जिनियर बने । इसीलिए उन्होंने उसे 11 वीं 12 वीं में साइंस मैथ दिला दी । और साथ मैं यह भी कहा की तु ज्यादा नहीं तो डिग्री प्राप्त कर लें । तुझे नौकरी में दिला दूंगा वह गांव से इन्जिनियर की पढ़ाई करने जयपुर शहर में भेज दिया । वह उसे पर महिने का खर्चा 3200 रूपए भी भेजते थे । पर राजेश का मन पढाई में नहीं लगता था। वह खुब पैसा व नाम दोनों कमाना चाहता था। वह चाहता था की लोग उसे जाने । वह हर ऐशो-आराम पाना चाहता था; जिसके लिए वह बहुत पैसा कमाना चाहता था। वह खुद का एक व्यवसाय करना चाहता था।
19 June 2013
राजेश एक बहुत ही होनहार लड़का था। उसके पिताजी चाहते थे कि वह पढ़ लिख कर इन्जिनियर बने । इसीलिए उन्होंने उसे 11 वीं 12 वीं में साइंस मैथ दिला दी । और साथ मैं यह भी कहा की तु ज्यादा नहीं तो डिग्री प्राप्त कर लें । तुझे नौकरी में दिला दूंगा वह गांव से इन्जिनियर की पढ़ाई करने जयपुर शहर में भेज दिया । वह उसे पर महिने का खर्चा 3200 रूपए भी भेजते थे । पर राजेश का मन पढाई में नहीं लगता था। वह खुब पैसा व नाम दोनों कमाना चाहता था। वह चाहता था की लोग उसे जाने । वह हर ऐशो-आराम पाना चाहता था; जिसके लिए वह बहुत पैसा कमाना चाहता था। वह खुद का एक व्यवसाय करना चाहता था।
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