Virendra bharti
कुछ लोगों की तो किस्मत भी उनका साथ नहीं देती । जैसे मेरी।
Wednesday, November 2, 2016
नशा दीवानगी का विरेन्द्र भारती
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
गजल एक भारती
गजल एक भारती
गजल हर रोज मरने के बाद । चंद रोज जिया तो क्या ।। हर तरफ से ठुकरा देने के बाद । सबक ए जिंदगी लिया तो क्या ।। राह अपनी वक्त निकल...
सपना
तुम तो रूठ सकती हो। लेकिन मैं नहीं रूठ सकता ना।। जिस दिन मैं रूठा । उस दिन तेरे मेरे बिच । सबकुछ खत्म हो जाएग...
नशा दीवानगी का विरेन्द्र भारती
No comments:
Post a Comment