कसूर
अक्सर सोचता हूँ क्या कसूर हैं उस गरीब बच्चे का जो पढ़ नहीं पाता
क्या कसूर हैं उसका जो वो सड़क किनारे हैं सोता
क्या कसूर हैं उसका जो वो दो वक़्त की रोटी नहीं खा पाता
आखिर क्या कसूर हैं उसका जो वो अपना तन भी नहीं ढक पाता
आखिर क्या कसूर हैं उसका जो वो हँस नहीं पाता
आखिर क्या कसूर हैं उसका जो वो ताने सुनता जाता
आखिर क्या कसूर हैं उसका जो वो दिन रात चलता जाता
आखिर क्या कसूर हैं उसका जो वो गन्दगी मैं हैं रहता
आखिर क्यों वो कई दफा रोता हैं
क्योंकि
अक्सर सोचता हैं वो भी
मैं भी पढ़ने जाऊँ
मैं भी अपने घर मैं सोऊँ
मुझे भी अच्छा खाना मिले
पहनने को अच्छे कपडे मिले
मैं भी खेलू दोस्त बनाऊँ
उनके साथ मस्ती करुँ हँसू
कोई मुझे गन्दी गाली ना दे
छोटी नजरो से ना देखें
मैं भी आराम करू सोऊं
एक अच्छी जगह पर रहूँ
आखिर क्या कसूर हैं मेरा ?
क्या कसूर ?
कोई बतायें तो
क्या गरीब होना गुनाह हैं ?
या गरीब के घर मैं पैदा होना ?
और क्यों ?
मुझे भी पढ़ना हैं
वो सब करना हैं जो दूसरे करते हैं
आखिर क्यों नहीं कर सकता मैं ये सब
कोई बताये मुझे कसूर मेरा ?
लेलेखक विरेन्द्र भारती
8561887634
अक्सर सोचता हूँ क्या कसूर हैं उस गरीब बच्चे का जो पढ़ नहीं पाता
क्या कसूर हैं उसका जो वो सड़क किनारे हैं सोता
क्या कसूर हैं उसका जो वो दो वक़्त की रोटी नहीं खा पाता
आखिर क्या कसूर हैं उसका जो वो अपना तन भी नहीं ढक पाता
आखिर क्या कसूर हैं उसका जो वो हँस नहीं पाता
आखिर क्या कसूर हैं उसका जो वो ताने सुनता जाता
आखिर क्या कसूर हैं उसका जो वो दिन रात चलता जाता
आखिर क्या कसूर हैं उसका जो वो गन्दगी मैं हैं रहता
आखिर क्यों वो कई दफा रोता हैं
क्योंकि
अक्सर सोचता हैं वो भी
मैं भी पढ़ने जाऊँ
मैं भी अपने घर मैं सोऊँ
मुझे भी अच्छा खाना मिले
पहनने को अच्छे कपडे मिले
मैं भी खेलू दोस्त बनाऊँ
उनके साथ मस्ती करुँ हँसू
कोई मुझे गन्दी गाली ना दे
छोटी नजरो से ना देखें
मैं भी आराम करू सोऊं
एक अच्छी जगह पर रहूँ
आखिर क्या कसूर हैं मेरा ?
क्या कसूर ?
कोई बतायें तो
क्या गरीब होना गुनाह हैं ?
या गरीब के घर मैं पैदा होना ?
और क्यों ?
मुझे भी पढ़ना हैं
वो सब करना हैं जो दूसरे करते हैं
आखिर क्यों नहीं कर सकता मैं ये सब
कोई बताये मुझे कसूर मेरा ?
लेलेखक विरेन्द्र भारती
8561887634
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