ओ हमनशी,
तबाही मिली है उम्र भर के लिए,
तेरी मोहब्बत मैं ।
मगर जो पल तेरे साथ बिता आया हूँ।
लगता है, उनमें कई सदियाँ जी आया हूँ।
मेरी धड़कने तेरे जाने से रूक सी गई ,
मेरी कस्तियाँ तेरे जाने से डूब सी गई ।
जो भूचाल आया मेरे दिलों दिमाग में ,
मेरे सुख के संसार मेें ।
कौन थामेगा उसको,
कौन संभालेगा मुझको।
हम जिस्म दो,
जान एक थे।
लगता था ऐसे ,
साथी अनेक थे।
कौन रोकेगा मेरे डूबते हुए सुरज को,
कौन संभालेगा मेरी शान ओ शोहरत को।
बहुत दुर चला हूँ तेरे संग ,
तेरे बिन तेरे ख़्वाबों में ।
मैंने तोड़ डाला अपना हर ख्वाब ,
तेरी खुशी के लिए ।
देखना है,
तुम ख्याल कितना रखती है,
मेरी खुशी का ।
मेरा एक सवाल जो तुझसे हैं ,
क्या तु फिर नहीं आ सकती उम्र भर के लिए ?
मेरी होने के लिए ।
Deewana writer virendra bharti
8561887634
Missing SHEETAL RAJAWAT
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