पहुँच गये वो सारे पैगाम
जो तुने दिल से भेजे थें।
गौर से पढ़ा मैंने
तुने बुजदली से भेजे थें।
अरे प्यार किया है तो इतना डरती क्यों है
और डरती है तो मुझपे इतना मरती क्यों है
ग़र खुशी है मुझे
तु मुझे इतना चाहती है
दिन - रात मुझे हि गुनगुनाती है।
यह तो बता
तु आयेगी कब हमेशा के लिए
मेरी होने के वास्ते
फिर कभी लौट कर नहीं जाने के लिए।
लेखक विरेन्द्र भारती
मो. 8561887634

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