Tuesday, May 30, 2017
Sunday, May 28, 2017
वो अजनबी
बहुत दिनों के बाद आज फिर सफर का मजा आया ।
आज फिर सफर में एक हमसफर ऐसा पाया ।
जिसकी तारीफ में बहुत कुछ लिखने का दिल किया ।
पता नहीं क्यों उससे बार- बार मिलने का दिल किया ।।
वो अजनबी बस कुछ पल में ही दिल में घर कर गई ।
वो मुझे कोटा से जयपुर के सफर मिल गई ।
उसे देखकर मेरी गाड़ी लोकल बस में चढ़ गई।
फिर क्या था गाड़ी सफर पर चल गई।।
मैंने उसको देखा उसने मुझे देखा
मैंने उसको देखा उसने मुझे देखा
फिर वो मुस्कुराई फिर मैं मुस्कुराया
और फिर नैन मटक्का हो गया
पता नहीं मेरी कौनसी आदत उसे पसंद आ गई ।
वो अपनी माँ के पास से उठकर मेरे पास आ गई।
शायद जो गुफ्तगू मेरे दिल में थी वो उसके में भी चल गई
पता नहीं क्या था वो जो वो ऐसा कर गई
वो चेहरा
वो आँखे
वो मुस्कान
वो शरारत
बैठ के पास मेरे वो कयामत ढ़ा रहीं थी।
वो खुद भी जल रहीं थी मुझे भी जला रहीं थी।।
ना वो खुद को रोक पा रहीं थी ना मै
जबकि दोनों जानते थे सफर खत्म हो रहा है ।।
खत्म हो गया वो सफर देवली ही
वो उतर के अपने रास्ते चल दि और मैं अपने
एक दफा फिर लौट कर आई वो मिलने मुझसे
उसने कहा चलो और मै उसके साथ चल दिया
फिर ना वो बोल पाई ना मैं
थोड़ी देर युं ही एक दूसरे को देखते रहे ।
फिर वो अपने रास्ते चल दी और मैं अपने
Friday, May 26, 2017
विदाई
ये दोस्ती के जमाने याद आयेंगे ।
ये दोस्त पुराने याद आयेंगे ।
इन दोस्तों की बातें याद आएगी ।
जब विदाई हो जाएगी ।।
वो काॅलेज याद आयेंगी ।
वो दोस्तों की शैतानिया याद आयेंगी ।
वो दोस्तों का चिड़ाना याद आयेगा ।
जब विदाई हो जाएगी ।।
वो साथ घूमना फिरना याद आयेगा ।
वो कॉलेज का झगड़ा याद आयेगा ।
वो बात - बात पर दोस्तों का सताना याद आयेगा ।
जब विदाई हो जाएगी ।।
वो मैडम की डाँट याद आएगी ।
वो सर की फटकार याद आएगी ।
वो सबका प्यार याद आएगा ।
जब विदाई हो जाएगी ।।
लेखक विरेन्द्र भारती
मो. 8561887634
ये दोस्त पुराने याद आयेंगे ।
इन दोस्तों की बातें याद आएगी ।
जब विदाई हो जाएगी ।।
वो काॅलेज याद आयेंगी ।
वो दोस्तों की शैतानिया याद आयेंगी ।
वो दोस्तों का चिड़ाना याद आयेगा ।
जब विदाई हो जाएगी ।।
वो साथ घूमना फिरना याद आयेगा ।
वो कॉलेज का झगड़ा याद आयेगा ।
वो बात - बात पर दोस्तों का सताना याद आयेगा ।
जब विदाई हो जाएगी ।।
वो मैडम की डाँट याद आएगी ।
वो सर की फटकार याद आएगी ।
वो सबका प्यार याद आएगा ।
जब विदाई हो जाएगी ।।
लेखक विरेन्द्र भारती
मो. 8561887634
Friday, May 19, 2017
घर राजस्थानी कविता
घर शब्द छ: घणो छोटो
अर्थ इको साँथरों मोटो।
इम रैव एक परिवार
बिना बिक सूनो संसार।
जठै सारा साँकला रैव
बठै सदा खुशहाली रैव।
ऊँ घर घर कहलावें
जठै सारा भाई मिल बैठ खावें।
जठै बड़ा रो मान होवें
ऊँ घर रो सदा सम्मान होवें।
जठै रैव समझदार नारी
बठै सारी खुशियाँ वारि।
जी घरकारों दिलड़ो मोटो होवें
बिक सामने स्वर्ग भी छोटो होवें।
मुसीबत भी बठै थर थर काँपें
जठै सारा दु:ख मिल बैठकर बाँटे।
जो घर ने घर समझे
घर री बात बाणें ना उपजें।
सारी आपदा सु यो बचावें
सर् रे ऊँपर छत कहलावें।
काचों होवे या पाकों
घर सिर्फ आपणों साँचों।।
लेखक विरेन्द्र भारती
मो . 8561887634
अर्थ इको साँथरों मोटो।
इम रैव एक परिवार
बिना बिक सूनो संसार।
जठै सारा साँकला रैव
बठै सदा खुशहाली रैव।
ऊँ घर घर कहलावें
जठै सारा भाई मिल बैठ खावें।
जठै बड़ा रो मान होवें
ऊँ घर रो सदा सम्मान होवें।
जठै रैव समझदार नारी
बठै सारी खुशियाँ वारि।
जी घरकारों दिलड़ो मोटो होवें
बिक सामने स्वर्ग भी छोटो होवें।
मुसीबत भी बठै थर थर काँपें
जठै सारा दु:ख मिल बैठकर बाँटे।
जो घर ने घर समझे
घर री बात बाणें ना उपजें।
सारी आपदा सु यो बचावें
सर् रे ऊँपर छत कहलावें।
काचों होवे या पाकों
घर सिर्फ आपणों साँचों।।
लेखक विरेन्द्र भारती
मो . 8561887634
Thursday, May 18, 2017
बारिश भी थम गई
आसमान में घटा छाई
घटा संग जब आँधी आई
आँधी संग जब बारिश कि पहली बुंद गिरी
उस बुंद ने मुझे कुछ यु छुआ
जैसे कोई चुभन ।।
उस चुभन में छुपी थी एक याद तुम्हारी
ताजा हो गए वो दिन
जब हुई मुलाकात हमारी
फिर याद आया वो मंजर
जब जुदा हुई तुम मुझसे ।।
तेरी उन यादों से जब आँख मेरी भर आई
आँखों से मोतियों की झड़ी बह आई
थम गई वो बारिश भी बहती हुई मेरी आँखों को देखकर
लेकिन तुझे याद ना मेरी आई ।।
खुशी हुई मुझे ये देखकर
शायद बारिश को भी मेरे दर्द से दर्द है
तभी तो वो बारिश भी थम गई
जब याद तेरी आई
जब याद तेरी आई ।।
लेखक विरेन्द्र भारती
मो. 8561887634
22/06/2016
mad writer
घटा संग जब आँधी आई
आँधी संग जब बारिश कि पहली बुंद गिरी
उस बुंद ने मुझे कुछ यु छुआ
जैसे कोई चुभन ।।
उस चुभन में छुपी थी एक याद तुम्हारी
ताजा हो गए वो दिन
जब हुई मुलाकात हमारी
फिर याद आया वो मंजर
जब जुदा हुई तुम मुझसे ।।
तेरी उन यादों से जब आँख मेरी भर आई
आँखों से मोतियों की झड़ी बह आई
थम गई वो बारिश भी बहती हुई मेरी आँखों को देखकर
लेकिन तुझे याद ना मेरी आई ।।
खुशी हुई मुझे ये देखकर
शायद बारिश को भी मेरे दर्द से दर्द है
तभी तो वो बारिश भी थम गई
जब याद तेरी आई
जब याद तेरी आई ।।
लेखक विरेन्द्र भारती
मो. 8561887634
22/06/2016
mad writer
Sunday, May 14, 2017
माँ
बदल गया ना माँ अर्थ तेरा युग के साथ
अब कहाँ तुझे बेटा उतना प्यार करता है माँ
थोड़ा बड़ा होते ही वो कहता है
तुम नहीं समझोगी माँ।
माँ तुम तो माँ हो ना
जब नहीं बोलते थे हम
तब भी तो तुम समझ जाया करती थी ना
फिर क्यों वो बेटा ऐसी बातें करता है माँ।
माँ आज तेरा बेटा किसी लड़की से कहता है
तेरे बिना क्या वजूद मेरा
मैं पुछता हूँ माँ
क्या तेरे बिना उस बेटे का वजूद था।
माँ
ओ माँ
तेरा वो राम कहा है माँ
आज का बेटा तो मतलबी है माँ।
शादी हुई नहीं
तुझे भूल जाएगा
ये कलयुगी बेटा है माँ
तुझे रूलाकर खुद झूम जाएगा ।
माँ तुम इतनी भोली क्यों हो
क्या इस कलयुगी का छल
तुम्हें नहीं दिखता
क्यों माँ क्यों ।
माँ शब्द नहीं ममता का सागर है
जब सब साथ छोड़ जाया करते है
तब भी साथ देती है जो
वो माँ है।
बेटा कितना ही झूठ बोले
उसकी हर बात को
आंखे मूंद जो सच माने
वो माँ है।।
माँ तु ही तो है वो
जो चलना
बोलना, समझना
सिखाती है।
माँ
तु नहीं होती तो
क्या वो मूर्ख बेटा
होत यहाँ
लेखक विरेन्द्र भारती
मो. 8561887634
Saturday, May 13, 2017
आदत...
हाँ हे ना मुझे आदत
तुझे यूँ वक्त बेवक्त याद करने की
दिन-रात तुझे प्यार करने की
तेरे और सिर्फ तेरे बारे में सोचने की।
हाँ हे ना मुझे आदत
तेरी हर आदत से प्यार करने की
चाहें वो अच्छी हो या बुरी
जो तुझे पसंद वो मुझे पसंद।
हाँ हे ना मुझे आदत
तेरे साथ की
तेरी आवाज की
तेरी हर अदा की
हाँ हे ना मुझे आदत
तेरे उस प्यार की
जो लुटाती थी तु कभी मुझ पर
निस्वार्थ, निश्छल, बेवजह, बेमतलब।
हाँ हे ना मुझे आदत
तेरा ही चेहरा देखने की
देखते-देखते उसमें खो जाने की
और फिर तेरे ख्यालों के साथ सो जाने की।
हाँ हे ना मुझे आदत
आँसूओं से तकिया भिगोने की
क्योंकी अब जिया नहीं जाता तेरे बिन
बिन तेरे खाली सा लगता है मुझे वजूद मेरा।
लेकिन तुझे भी तो आदत हे ना
मुझे तनहा छोड़ जाने की
हर वक्त रूलाने की
दिल तोड़ जाने की।
हाँ हे ना मुझे तेरी आदत
हाँ रहेगी मुझे तेरी आदत
हमेशा हमेशा
तु लौट या ना लौट।।
लेखक विरेन्द्र भारती
मो. 8561887634
Wednesday, May 10, 2017
सब जाएगा रे
रे मानव क्या पाया तुने आकर इस संसार में।
क्यों किया तुने तेरा मेरा जब नहीं तेरा यहाँ बसेरा ।।भिखारी भी यहाँ से खाली गया ।
करोड़पती भी यहाँ से खाली गया ।।
चली गई वो सब महान हस्तियाँ भी ।
जिन्होंने काम भारी किया ।।
अरे क्यों जोड़ी तुने पाई-पाई ।
क्यों नहीं तुने मानवता कमाई ।।
पता था तुझे जाना है मुझे।
एक दिन खाली हाथ।।
इस पराई दुनिया में क्यों तुने माया कमाई ।।
सफल वहीं हुआ रे मानुष ।
जिसने सत् कर्म कर प्रभू भक्ति पाई ।।
मूर्ख नहीं थे वो ऋषि महामुनी ।
मूर्ख नहीं थे वो दधिची ।।
रे छोड़ माया जिसने प्रमू भक्ति है कमाई ।
तर गया जीवन उसका आँच कभी ना आई ।।
अरे मति अन्ध मैं भारती कहूँ इतना ।
क्यों मूर्ख सा काम करे ।।
बड़ी मुश्किल मिली ये मानुष योनी ।
सोच इसे ऐसे नहीं खोनी ।।
एक दिन जाएगा यहाँ से सब कुछ तेरा ।
रे पागल यहाँ तेरा रेन बसेरा ।।
क्यों सोचत-सोचत जिंदगी गँवाई ।
क्यों टाँग अपनी खान पसाई ।।
कर ले कुछ कर्म यहाँ ।
कर ले कुछ धर्म यहाँ ।।
यहीं साथ जाएगा रे ।
क्या सोचत सोचत रे ।।
चार दिन मिले जीवन के ।
दो फालतू गँवाए रे ।।
और दो क्यों माया में फँसाए रे ।
सब जाएगा रे सब जाएगा।।।
लेखक विरेन्द्र भारती
मो. 8561887634
Monday, May 8, 2017
राजस्थान पत्रिका
राजस्थान की शान है राजस्थान पत्रिका ।
शायद इसीलिए राजस्थान में महान है राजस्थान पत्रिका ।।
आता है सुबह-सुबह ये देश विदेश की खबरें लेकर ।
पढ़ते है हम सारी खबरें चाय की चुसकियाँ लेकर ।।
कितनी सस्ती मिलती है इससे जानकारी ।
इतनी सस्ती तो नहीं मिलती है आज तरकारी ।।
रोज की सुचना रोज देता ।
भाग दौड़ भरी जिंदगी मैं आराम देता ।।
आगे बढ़ने को ये प्रेरित करता ।
मेहनत करने को ये प्रेरित करता ।।
सोच और भरोसे को बढ़ाता है ।
हर रोज सारे संसार को समेट लाता है ।।
लाता है कुछ प्रेरणादायक कहानियाँ ।
जो होती है कुछ अनकहीं जुबानियाँ ।।
हर क्षेत्र की जानकारी है देता ।
बहुत कम दाम है लेता ।।
आज प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मदद कर रहा है ।
आगे बढ़ने को ये हरपल प्रेरित कर रहा है ।।
कुछ छिपी प्रतिभाओं को सामने है लाता ।
लाकर सामने उनको पहचान है दिलाता ।।
हौसला ये हरदम बढ़ाता ।
उडने को ये पर लगाता ।।
राजस्थान पत्रिका पढ़ो ।
आगे बढ़ो ।।
दो सपनों को नई उड़ान ।
नई पहचान ।।
लेखक विरेन्द्र भारती
8561887634
Wednesday, May 3, 2017
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